Menu
blogid : 1601 postid : 9

फतवों और फरमानों का देश

ajad log
ajad log
  • 250 Posts
  • 637 Comments

भारत में लोकतंत्र भले ही बहाल हो भले ही क़ानून , प्रशासन हो परन्तु अब भी फतवों पंचायती फरमानों का डोर आरम्भ है . आखिर क्या कारण है की लोग ख़ुद को क़ानून से उपर समझ रहे है . क्या कारण है फतवों और पंचायत के फरमान हर माह मीडिया प़र छा जाते है . आजादी के ६३ सालो बाद भी पंचायतो प़र किसी जाती विशेष का अधिकार है फैसला , सज़ा देने का हक़ भी उसी जाती को है . भले वह फैसला कोई थोपा हुआ हो थोपे हुए फैसलों प़र भी सरकारे पुलिस हाथ बांधे क्यों खड़ी रहती है . क्या यह वोट बैंक की राजनीति है तभी सरकार ,पुलिस कोई कारवाई नही करती . एसा क्यों होता जा रहा है जिस क्षेत्र में जिसकी संख्या अधिक वही उसका मालिक . क्या यही है समानाधिकार . वोट की राजनीति में दबंगई को बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है अराजकता , अन्याय बढ़ने के कारणों को और शैह देने वाले कोन लोग है . पंचायत समाज को सही दिशाए देने के लिये होती है लेकिन आजकल की पंचायते जाती जैसी तुच्छ मानसिकता में सिमट कर रह गयी है . लेकिन इन्हें एसी मानसिकता प्रदान किसने की फतवे कैसे भी हो लेकिन किसी किस्म की कोई भी करवाई का नही होना क्या दर्शाता है . इस तरह के फतव , पंचायती हुकूमत तो राजो , महाराजो के समय में होने का भी उल्लेख नही है . तब भी राजा का दरबार न्यायालय हुआ करता था लेकिन हाल कुछ एसा है जिसकी लाठी उसकी भैंस . लेकिन इन्हें चोधरी बनाने वाले लोग कोन है जिनके कारण इस सबमे आम इंसान पिसा जा रहा है आज आम आदमी को ठीक से साफ़ पानी पिने तक की आजादी नही है और इन लोगो को अपने फरमान थोपने की . ये फतवे और ये दबंग लोगो का रवैया भारत को कहा ले जा रहे है समाज को अलग – थलग करने का हथकंडा भी यही से शुरू होता है . एक समाज को हर किस्म की भागीदारी दोऔर बाकी के लोगो के लिये कोई पॅकेज नोकरी कुछ नही . ताकि बगावते हो और भारत के लोग जाती के नाम प़र लड़ते रहे मरते रहे . लेकिन ये चाहता कोन है कही यह फिर से भारतीयों को कमजोर करने की साज़िश तो नही जिसे भारत के लोग समझ नही पा रहे है

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh