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भारत जिसे आज भी सभ्यता से जाना जाता है लेकिन इस सभ्यता प़र प्रहार हो रहा है . ख़ुद अपने ही लोग इसे असभ्य बनाने की तक में है और असभ्यता फैला रहे है . अश्लीलता फैलाई जा रही है युवा अपनी संस्कृति को छोड़ पश्चिमी होते जा रहे है . दो , दो गल्फरैंड रखना नोजवानो के शोक है सडको प़र हाथ में हाथ डालकर घूमना यह भारत को भारत कम और इण्डिया ज्यादा दर्शाता है . लेकिन युवा तो पहले भी होते थे और अधिक सवस्थ और हट्टे खट्टे होते थे वह तो इस प्रकार की हरकते नही करते थे . गर्ल फरैंड तो पहले भी होती थी लेकिन इस प्रकार सडको गलियों में नही घुमा जाता था . कही यह एक कारण तो नही है बढ़ते बलात्कारो का हमारे बदलते परिधान भड़काऊ कपडे .आज के युवा फ़िल्मी हीरो को अपनी जीवन शैली में उतार रहे है आज की फिल्मो का हीरो भी अपनी गर्ल्फरैंड को सडको प़र घुमाता है और २ , ३ गर्फरैंड रखता है और इसी बात को आम नोजवान अपने जीवन में उतारते है . हीरो लोग हो या फिल्म निर्माता ये लोग तो यह सब पैसो के लिये करते है इन्हें इन बातो से मतलब नही होता की इससे देश के लोगो की मानसिकता पश्चिमी होती है जिसे इस देश के लोग इजाज़त नही देते . एसा ही कुछ बिजनैस में हो रहा है आई पी एल जो एक खेल भी है और बिजनेस भी इसमें भी दर्शको को खीचने के लिये चीयरगर्ल्स का सहारा लिया जा रहा है . करिकेट के खेल को भी एक तमाशा सर्कस बना दिया गया है जिस मैच को करोडो भारतीय देख रहे है वहा भी असभ्यता सडको से लेकर बाजारों तक सिनेमा से लेकर खेल के मैदानों तक . किसी साबुन को बेचना है तो उस प़र भी हीरोइन की अश्लील फोटो . किसी प्रोडक्ट की ऐड में भी हीरोइन के उत्तेजित दृश्य . देश यह जिस और जा रहा है उसमे सभ्य इंसानों की कहा जगह होगी आज जिसकी गर्लफ्रैंड है उसी के दोस्त है . या उन्हें भी हिंदी भाषा की ही तरह दूसरी श्रेणी में ड़ाल दिया जाएगा
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