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भले ही कसाब को फ़ासी हो या उम्र कैद लेकिन एक बात तय है कसाब के खात्मे से आतंक का खात्मा नही होगा . क्यों की पडोसी देश में एसे हजारो कसाब भरे पड़े है . इसे एक छोटी सी कहानी से समझा जा सकता है या आज की सच्चाई से . घर के सोने वाले कमरे में मधुमखी का छत्ता लग जाता है . जब मखी घर के मालिक को काटती है तब वह एक मखी को मारने की कोशिश करता है और सुबह काम प़र निकल जाता है . और अगली शाम फिर से जब वह घर के दुसरे कमरे में अपने बच्चो संग टी वी देख रहा होता है तो उसके बच्चे को काट लेती है वह उस मखी को मार देता है . अब वह छता बड़ा होता जाता है मखिया बढती जाती है और हर १० या १५ दिन बाद हमला करती है और वह भी उस मक्खी को मार देता है . लेकिन मक्खियों का आतंक बढ़ जाता है और घर में रहना मुश्किल हो जाता है . अब मालिक क्या करे या तो मक्खिया उसे मार देंगी या बचने के लिये अब मक्खियों का इलाज़ घर का मालिक करे . ठीक इस कहानी, कल्पना की ही तरह पाकिस्तानियों ने अपना नेटवर्क पाक में और हमारे देश में भी उसकी जड़े फैला दी है . और वह जब चाहे उस जगह बम फाड़ कर बेगुनाहों का खून बहाते है लेकिन सोचिये इनका नेटवर्क इनके होसले बुलंद क्यों हो रहे है .कही एक कारण हमारा रक्षात्मक रवैया तो नही . कसाब को फ़ासी की सज़ा मिले लेकिन अब उस छत्ते प़र उस झुण्ड प़र भी हाथ मारने की जरुरत है जहा से इनकी फसल को खाद पानी मिल रहा है . नही तो इस तरह के खूंखार आतंकवादी भारतीयों का रहना मुश्किल कर देंगे . आज इनका एक आतंकवादी ५० , ५० भारतीयों का खून बहाता है और फिर से एसे बिसिया कसाब हिन्दुस्तान की धरती प़र हमले की ताक़ में बैठे रहते है और अगली रणनीति को अंजाम देते है . इस तरह के कसाब हो या अफज़ल तब तक पैदा होते रहेंगे जब तक हम इजराइल जैसी कोई ठोस करवाई नही करते
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