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इस देश में १२१ करोड़ की आबादी है जो बनिया है ,जाट है ,पंजाबी है ,मराठा है ,ब्राह्मण ,राजपूत है . और पता नही बहुत सी है जातिया है जिनका मै यहाँ जीकर कर नही पाया हूँ .कभी इस देश में भाषा की लड़ाई है तो कभी जाती की तो कभी धर्म की तो कभी क्षेत्रो की .आजादी की लड़ाई ने भारतीय जनमानस को इन बातो से उपर एक सोच परदान की थी .सभी छुआ छुट जैसी समस्याए सुलझाने की सोच और एकता .लेकिन आजादी के ६४ वर्षो बाद यह सोच कहा चली गयी या लुप्त हो गयी ? किसी बुद्धिजीवी ने इस पर कोई बहस गंभीरता से की नही या फिर किसी टीवी चैनल ने इस पर कोई बहस आखिर क्यों नही कराई .किन लोगो इस देश को बाटा है किन लोगो ने इस देश के लोगो को एक भारतीय होने से पहले उसे अपनी जाती का एहसास कराया है .भारतीय जनमानस के मन में जाती का जहर घोलने वाले लोग कोन है की आज इस देश में जातीय सम्मिकरण से ही सब कुछ तय होता है . कर्मचारी हो या अधिकारी या नेता सब जातीय सम्मिकर्ण या धार्मिक सम्मिकर्ण से ही इस देश में तय क्यों होता है ? इस देश में कोई भी राजनेता हो या किसी भी दफ्तर का कर्मचारी क्यों एक भारतीय की तरह कम नही करता क्यों इस देश में जाती का प्रभाव बढ़ता जा रहा है .क्या ये देश नेत्रित्व की कमी से जूझ रहा है क्या इस देश में कोई एसा नेता नही जो इस देश के लोगो को एक भारतीय कहने पर गर्व करवा सके .क्या इस देश में एक भी पार्टी ऐसी नही है जो एक जाती का वर्चस्व होते हुए भी किसी दूसरी जाती का उम्मीदवार खड़ा कर सके . ये बाते है जो खी न खी इस देश के युवा को सोचने पर मजबूर करती है क्या है हमारा भारत महान ? इस देश में है कोन भारतीय जो इस गर्व से कहे मै भारतीय हूँ . यह आत्ममंथन का समय है क्यों इस देश पर इसे लोग राज करते आ रहे है जो इस देश को बाटते है और राज करते है
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