ajad log
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मै चाहता हूँ विश्वगुरु बने भारत मेरा
लेकिन चारो तरफ ही चोर है गद्दार है
रौशनी कहा है यहाँ, अन्धेरा ही अँधेरा है
जिसके हाथ में मैंने दी थी अपने देश की बागडोर , वही आज मेरे देश को है लुट रहे
साल ,महीने बीतते रहे वादे हर बार होते रहे
घोटाले यहाँ होते रहे ,लोग मरते रहे यहाँ
सफ़ेद कपडे वाले बस भाषण ही देते रहे
गरीबी से लोग मरते रहे ,गोली बम से लोग
मरते रहे ,
भूखो पेट जहा सोती है जनता वहा नेता
ही एक मालामाल है
मै चाहता हूँ विश्वगुरु बने भारत मेरा
लेकिन अभी कहा माहोल है वो यहाँ,
लेकिन अभी कहा माहोल है वो
यहाँ
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