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खबर हरयाणा से

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हरियाणा में दो खबरे इन दिनों सुर्खियों में होंगी और आपको राष्ट्रिय मिडिया में देखने को मिलेंगी वह खबरे यह है .

कुलदीप की पार्टी हजका और भाजपा में समझोता हो चूका है यह समझोता तब हुआ है जब कुलदीप के पिता चोधरी भजनलाल जी का निधन हो गया और हिसार लोकसभा सिट खाली हो गयी है .जब नितिन गडकरी उनके पिता के तेर्वे में आये तब ही उनसे कह गये थे दिल्ली आओ फिर मिलते है .वैसे तो नजदीकियों का सिलसला पिछले विधानसभा चुनावों से ही शुरू हो गया था परन्तु कुलदीप बिश्नोई की कुछ गलतिया जैसे की माया या भाजपा के फेर में उलझना महंगा साबित हुआ था उनके लिए .और अंत में अकेले चुनाव लड़ने का दोनों का फैसला हुआ -भाजपा चार विधानसभा की सिट जीत पाई और कुलदीप ६ . अब दोबारा कुलदीप और भाजपा एक हुए है हिसार लोकसभा के चुनाव नज़दीक है जिसमे भाजपा की तरफ से भी कुलदीप को मैदान में उतारा गया है और उनको टक्कर देते नजर आ रहे है हरयाणा के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे अजय सिंह चोटाला . इस चुनाव की हार जीत ही यह तय करेगी कुलदीप का भविष्य और एसा भी हो सकता है कुलदीप जीते तो भाजपा के सितारे भी चमक उठे .चुकी कुलदीप के पास कोई बड़ा चहरा खुद के आलावा पार्टी में कोई नही बचा है और भाजपा चुनाव प्रचार के लिए अपने बड़े नेताओं को ला सकती है तो ऐसे में यह कहना गलत न होगा की यही चुनाव भाजपा और कुलदीप का भविष्या तय करेंगे .

अब बात आरक्षण की -जाट समाज फिर से आन्दोलन शुरू कर सकता है
जाट समाज लगभग चार वर्षो से आरक्षण की मांग करता आ रहा है और इस आन्दोलन में श्री विजय सिंग कडवासरा और सुनील श्योरान ने अपनी शहादत दे दी . आन्दोलन की मांग शांतिपूर्वक ढंग से जाट -जाती के लोग फिर से हिसार जिले के (मैयर )गाव में 13 सितम्बर से करने जा रहे है .
पिछली बार जब आन्दोलन हुआ था तब सरकर की गलतियों की वजह से आम आदमी को काफी दिक्कते हुई थी और आन्दोलन लम्बा खिचता गया .जब की जाटो को राजस्थान ,मध्य्पर्देश जैसी जगहों पर आरक्षण प्राप्त है . फिर भी हरियाणा में जाटो को आरक्षण नही दिया जा रहा है . अपना तो यह मानना है किसी भी जाती के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो को आरक्षण मिलना चाहिए क्यों की गरीबी केवल उन्ही लोगो में नही है जिन्हें अब तक आरक्षण प्राप्त है .सरकार को एक ऐसी योजना बनानी चाहिए जिसमे हर जाती के आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगो ,गरीब लोगो को आरक्षण का लाभ मिले .ताकि समाज में जातिवाद कम हो और भाईचारा बढे .और जाट जाती या अन्य सरवन जातियों की भी भावना का सम्मान हो .वर्ना इस आरक्षण को ही सरकार खत्म कर दे चुकी देश ने आरक्षण के आंदोलनों में कई जवानो को खोया है बहुत से समाजो ने अपने लोगो को सरकारी बर्बरता में खोया है .गुज्जर आन्दोलन हो या जाट आन्दोलन या तो आंदोलनकारियो की जाने जाती है या फिर आम आदमी को परेशानी होती है लेकिन सरकार इन समस्याओ का कोई समाधान नही निकालती.

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