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प्रचार और धारावहिक के माध्यम से षड्यंत्र

ajad log
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मित्रो वैसे तो भारत हमेशा से ही एक सोफ्ट टार्गेट रहा है हमेशा से ही इस खुबसुरत देश पर विदेशियों की नज़रे टिकी रही है .परतु मेरे मित्रो जिस तरह का षड्यंत्र अब हाल फ़िलहाल के कुछ वर्षो में हो रहा है वह शायद इस देश में पहले कभी नही हुआ .वह प्रचार के माध्यम से हो या फिर फ़िल्मी अश्लीलता के माध्यम से .दखिये किस तरह से इस देश की भोली भाली जनता को दो बच्चे पैदा करने का सन्देश दिया जाता है ,कैसे भ्रूण हत्या का आरोप इस देश की जनता पर आये दिन लगाया जाता है .या फिर किस तरह से इस देश के युवाओ को (दिल्ली बैली ) जैसी घटिया फिल्म दिखाकर बहकाया जाता है .कैसे धारावाहिकों के जरिये यह सन्देश देने की कोशिश होती है की बड़े परिवार में झगड़े होते है .

पाठको एक महिला साडी बांधे आती है वह हमें टीवी चैनल पर सन्देश देती है की बच्चे दो ही अछे या फिर भ्रूण हत्या पाप है इस तरह के सन्देश देती है .मित्रो क्या कभी आपने टीवी चैनल पर किसी ऐसी एक भी महिला को देखा है जो बुरका पहने यह अपील कर रही हो .मतलब साफ़ है आखिर ये साडी बिंदी में जो महिला है वह देश के बहुसंख्यको को ही यह सन्देश दे रही है .जब की सच्चाई यह है की इस देश में ऐसे समुदाय भी है जो बारह – बारह बच्चे पैदा कर रहे है अपनी आबादी को बढ़ा रहे है .आखिर उनके नाम क्या सन्देश है ?जब की आज का बहुसंख्यक समुदाय ज्यादातर दो ही बच्चे पैदा करता है .

एसा ही धारावाहिकों के जरिये षड्यंत्र रचा जा रहा है कभी सर्वं और दलितों के बीच खाई पैदा की जाती है तो कभी पुरूष और नारी के बीच .कुछ सालो पहले एक टीवी चैनल पर ‘ न आना इस देश लाडो ‘ धारावाहिक शुरू हुआ .उसमे एक किरदार था अम्मा जी का जो लडकियों को पैदा होते ही मार देती है और गाव में किसी के घर भी लड़की पैदा नही होने देना चाहती .इस धारावाहिक में जिस तरह से उस महिला का किरदार या धारवाहिक की कहानी थी वह भारतीय समाज में पुरूष और महिला में खाई पैदा करने के लिए काफी था और महिलाओ को पूरोशो के प्रति भडकाने वाला था .अभी कुछ ही दिन पहले जिसने भी राखी का इंसाफ देखा होगा वह भी अच्छी तरह से समझ सकता है की कैसे फूहड़ता का प्रदर्शन किया जा रहा है .भाइयो और बहनों आप सभी जानते है इस देश में ऐसे लोग भी है जो अपनी जनसँख्या बढ़ाने के लिए १५ या १० बच्चे पैदा करते है परन्तु बहुसंख्यक समाज को नसबंदी जैसे उपदेश दिये जाते है.आखिर किसलिए? क्या यह बहुसंख्यक समुदाय को कमजोर करने की साज़िश है ?

मित्रो कुछ माह पूर्व दिल्ली बैली नामक फिल्म बनी थी जिसका पर्दर्शन सिनेमा घरो में हुआ था उसमे किस तरह की भाषा का इस्तेमाल या फिर दृश्यों का इस्तेमाल किया गया था उसका जिक्र करना भी मै यहाँ उचित नही समझता .लेकिन आप में से कुछ लोगो ने यह फिल्म देखि होगी वह अच्छी तरह जानते होंगे इस फिल्म के बारे में . यह फिल्म हमारे देश की नई पीढ़ी की आमिर घराने की नवयुवतियो ने भी देखि होगी .आप इस बात को सोचकर हैरान मत हो चुकी अब इस देश में यह सब नयेपन के नाम पर होता है .क्या असर डाला होगा उन नवयुवतियो पर जिसने इस फिल्म को देखा होगा .भाइयो और बहनों यदि इस देश में गदर जैसी फिल्मो के पर्दर्शन पर रोक लगा दी जाती है तो इस फूहड़ फिल्म पर क्यों नही ?मित्रो यह कैसी अभिवयक्ति है ?

मित्रो मै आपसे यह नही कहना चाहता की आप आस्था या फिर संस्कार देखे .लेकिन इतना जरूर कहना चाहता हूँ ऐसे किसी भी फिल्म या फिर धारावाहिक को मत देखे जो की भारतीय परिवारों को तोड़ता हो अथवा दलित सवरण के बीच खाई पैदा करता हो .

मित्रो जैसा की आप जानते है भारत में दंगे होते रहते है और यह भी अच्छी तरह जानते है इनकी शुरुआत कहा से होती है .बरेली ,मुरादाबाद ,या फिर भागलपुर दंगे का अपने आपने जिक्र तक मिडिया में नही सुना होगा परन्तु गुजरात दंगा हर महीने आपके सामने टीवी चैनलों पर पर्स्तुत होता है .सवाल उठता है क्या दंगे सिर्फ इस देश का बहुसंख्यक समाज ही करता है .
यह कहावत सभी जानते है कि सोते हुए व्यक्ति को जगाना आसान होता है ,लेकिन जिसने सोने का ढोंग कर रखा हो ,या जिसे नींद कि गोली दी गयी हो ,उसे जगाना मुश्किल होता है .नादान को समझाने पर वह फ़ौरन समझ जाता है ,लेकिन जिन पढ़े लिखे लोगों की अक्ल पर सेकुलर विचारों का पर्दा पड़ा हो ,जो सेकुलरो की चिकनी चुपड़ी मक्कारी भरी बातों में गुमराह हो गए हैं ,उनको समझाना कठिन है .
शायद यही कार्य आज के कुछ टीवी चैनल कर रहे है जिससे भारत का भ्संख्य्क समाज सोता रहे वह कभी जग ही न सके हिन्दू हित की बात भी उसे साम्प्रदायिकता सी लगे .
आज का हिन्दू सिर्फ मैच देखने ,या बिग बोस जैसे फालतू सीरियल देखने में व्यस्त रहते हैं .और महिलाएं ऐसे सीरियल देखती रहती हैं ,जो समाज को तोड़ने के लिए बने हैं .यह एक सोची समझी योजना है .
एक समुदाय ने यही नीति रूस के एक हिस्से “कौकेसिया Caucasia “में अपनायी थी .पहले वहां पर आरमीनियन ,अज़रबैजानी लोगों की अधिकता थी .धीमे धीमे वह समुदाय अपनी संख्या बढ़ाते गए .और वहां के आतंकी संगठन “हिजबुत तहरीर “और “Muslim Brotherhod “ने वहां इतना आतंक फैलाया की ,वहां के लोग भाग कर आस पास के देशों में चले गए .बाद में उन्ही आतंकी गिरोह ने अपना अलग देश बना लिया .और 9 अगस्त 2008 में इसे आजाद देश घोषित करा दिया .इसकी सीमा ज्योर्जिया ,और रूस से लगी है.यहाँ पर इस्लामी कानून चलता है .यहाँ के शासक को अमीर कहा जाता है .अबतक इस देश के दो अमीर बन चुके हैं .वर्त्तमान आमिर का नाम “دوكوعمروDokku Umarov “है .

उसी सुन्योजित तरीके से भारत को कमजोर करने की साज़िशे हो रही है जिसमे बहुसंख्यक वर्ग तेज़ी से फस रहा है .

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