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मै अन्ना के खिलाफ नही हूँ मै भी अन्ना जी की सफुर्ती का कायल हूँ परन्तु अन्ना के साथ होने का नाटक करना मुझे आता नही है .चुकी मै यह नही मानता की अन्ना इस देश की नैया ” पार लगा सकते है ?मै नही मानता अन्ना हमें पूर्ण सवराज दिला सकते है मई नही मानता अन्ना देश के भ्रष्टाचारियो से लड़ने में पूरी तरह सक्षम है .लेकिन कुछ लोग है…. जो मानते है अन्ना दुसरे गांधी है, अन्ना भगवान का रूप है शायद ऐसे लोग अन्न भक्ति में लीन है .जो लोग अन्ना की अंधभक्ति करते है आज मै उनके लिए सवालो का पिटारा खोल रहा हूँ हो सकता है उन सवालो के जवाब ढूंढते –ढूढ़ते उनमे सद्बुधी पैदा हो .
१ अन्ना इस देश का भ्रष्टाचार मिटा देंगे एसा उन लोगो का कहना है …..अब तक भर्ष्टाचार उनके अपने (महाराष्ट्र)राज्य में क्यों ?
२ कुछ लोगो का कहना है अन्ना को दिल्ली में हुए आतंकवाद पर जनमत जुटाना चाहिए ………मै उनसे पूछता हूँ महाराष्ट्र में आतंकवाद अब तक क्यों (क्यों कसाब को अब तक फ़ासी नही मिली )?क्या किया अन्ना ने ?…
३ कुछ लोग कहते है अन्ना आम आदमी ,किसान ,मजदूर और गरीबो के लिए काम कर रहे है ………मै उन लोगो से पूछता हूँ महाराष्ट्र में गरीबी क्यों ?(जब पुणे में किसानो पर फायरिंग हुई तब अन्ना …)क्यों विदर्भ में किसान सबसे ज्यादा खुदखुशी करते है
४ कुछ लोग कहते है अन्ना गाँधीवादी है तो मै उनसे पूछता हूँ अन्ना के ही राज्य में राज ठाकरे और शिवसेना सुप्रीमो जैसे लोग बिहारियों ,और उत्तर प्रदेशवासियों को लतिया कर भगाते है तब यह गांधीवादी कहा होते है
५ मै उनसे पूछना चाहता हूँ देश की चीनी किसने खाई ,किसने दूध में उबाल लाया ,गरीब आदमी से दो वक्त की रोटी तक छिनी ….मतलब आप भी समझ सकते है उन्ही के प्रदेश का आदमी (शरद पावर )अब तक उनके खिलाफ अन्ना जी ने क्या किया?
मित्रो जब अन्ना का आन्दोलन हुआ तब लोग सडको पर मोमबत्तिया जगाने लगे वन्दे मातरम कहने लगे .परन्तु सभी का गला फद्वाकर मिला क्या ? मुझे अन्ना के आन्दोलन से तकलीफ नही है पर एक बात मेरे समझ नही आती आन्दोलन के वक्त जिस तरह अन्ना को एक मसीहा के तोर पर मिडिया द्वारा पेश किया गया और उनकी ( ‘जीत न ही हार ‘) को जीत बता दिया गया तकलीफ इस बात से है .तकलीफ इस बात से है जिन लोगो ने अन्ना के लिए अपनी नोकरी तक छोड़ दी अपनी भावनाए अन्ना के साथ जोड़ दी … फिर अन्ना ने उस समय यह लड़ाई बीच में ही क्यों छोड़ दी ?
कई बार लगता है अन्ना जैसे देवता इंसान को पर्योग किया गया है मिडिया ने अपनी टीआरपी के लिए और नेताओं ने भर्ष्टाचार दबाने के लिए .
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