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हममे से बहुत से लोग यही समझते है की भारत एक गरीब देश है यहाँ की ७०% आबादी बीस रुपए से भी कम पर गुजारा करती है .यह बात तो एकदम सही है की भारत में गरीबी बहुत ज्यादा है “दो वक्त की रोटी के लिए लोग यहाँ धर्म तक बदलने को मजबूर है ” .परन्तु यह बात बिलकुल गलत है की भारत एक गरीब देश है .फिर भी इस देश में बहुत से लोग हालात से मजबूर होकर डकैती तक डाल रहे है ,चोरी कर रहे है लूटपाट कर रहे है ,फिर भी इस देश में बहुत सी महिलाए ,बजुर्ग ,बच्चे सडक किनारे भीख मांगते मिल जाते है . फिर भी इस देश के लोग अमेरिका ,इंग्लैण्ड या अन्य यूरोपीय देशो में नोकरी करने का जुगाड़ करने के लिए एडी चोटी का का जोर लगाते है .चलिए जैसा की हमारा शीर्षक है “सविज़ेरलैंड से अमीर भारत ”
उस पर बात करते है .आपमें से बहुत से लोग इस शीर्षक को एक मजाक के तोर पर ले सकते है परन्तु मै आपके सामने कुछ आकड़े रखना चाहता हूँ जिसे पढ़कर हो सकता है आप भी भारत को वर्तमान में भी सोने की चिड़िया मानेगे .
मित्रों श्री राजीव दीक्षित के एक व्याक्यान में उन्होंने बताया था कि वे एक बार जर्मनी गए थे और वहां एक प्रोफेसर से उनका विवाद हो गया| विवाद का विषय था “भारत महान या जर्मनी?” जब कोई निर्णय नहीं निकला तो उन्होंने एक रास्ता बनाया कि दोनों एक दूसरे से उसके देश के बारे में कुछ सवाल पूछेंगे और जिसके जवाब में सबसे ज्यादा हाँ का उत्तर होगा वही जीतेगा और उसी का देश महान| अब राजीव भाई ने प्रश्न पूछना शुरू किया| उनका पहला प्रश्न था-
प्र-क्या तुम्हारे देश में गन्ना होता है?
उ-नहीं|
प्र-क्या तुम्हारे देश में केला होता है?
उ-नहीं|
प्र-क्या तुम्हारे देश में आम, सेब, लीची या संतरा जैसा कोई फल होता है?
उ-(बौखलाहट के साथ) हमारे देश में तो क्या पूरे यूरोप में मीठे फल नहीं लगते, आप कुछ और पूछिए|
प्र-क्या तुम्हारे देश में पालक होता है?
उ-नहीं|
प्र-क्या तुम्हारे देश में मूली होती है?
उ-नहीं|
प्र-क्या तुम्हारे देश में पुदीना, धनिया या मैथी जैसी कोई चीज होती है?
उ-(फिर बौखलाहट के साथ) पूरे यूरोप में पत्तेदार सब्जियां नहीं होती, आप कुछ और पूछिए|
इस पर राजीव भाई ने कहा कि मैंने तो तुम्हारे यहाँ के डिपार्टमेंटल स्टोर में सब देखा है, ये सब कहाँ से आया? तो इस पर उसने कहा कि ये सब हम भारत या उसके आस पास के देशों से मंगवाते हैं| तो राजीव भाई ने कहा कि अब आप ही मुझसे कुछ पूछिए| तो उन्होंने और कूछ नहीं पूछा बस इतना पूछा कि भारत में क्या ये सब कूछ होता है? तो उन्होंने बताया कि बिलकुल ये सब होता है| भारत में करीब ३५०० प्रजाति का गन्ना होता है, करीब ५००० प्रजाति के आम होते हैं| और यदि आप दिल्ली को केंद्र मान कर १०० किमी की त्रिज्या का एक वृत बनाएं तो इस करीब ३१४०० वर्ग किमी के वृत में आपको आमों की करीब ५०० प्रजातियाँ बाज़ार में बिकती मिल जाएंगी| इन सब सवालों के बाद प्रोफेसर ने कहा कि इतना सब कूछ होने के बाद भी आप इतने गरीब और हम इतने अमीर क्यों हैं? ऐसा क्या कारण है कि आज आपकी भारत सरकार हम यूरोपीय या अमेरिकी देशो से क़र्ज़ मांगने खड़ी हो जाती है .
मित्रो जिस देश में भगवन को भी सालो पहले से ही ५६ भोग का पसाद भोग लगाया जाता था वह देश गरीब कैसे ?जब की भुत से देशो में लोग आज भी कीड़े मकोड़े या फिर जानवर को मारकर खाते है .जिस भारत ने पूरी दुनिया को संस्कृति ,सभ्यता ,मानवता का पाठ पढाया हर शरणार्थी को सिने से लगाया उसी भारत के लोग आज अमेरिका ,इंग्लॅण्ड जैसे देशो में नोकरी कर रहे है .कई बार अपमान भी सह रहे है .
मित्रो जैसा की आप जानते है इस देश को गजनी ,ओरंगजेब या अंग्रेज सरकारों ने लुटा है परन्तु यह देश अब भी गरीब नही हुआ है .इस देश में अब भी बादाम ,केसर ,पिस्ता होता है इस देश में अब भी सेकड़ो बीमारियों की एक दवा गौ मूत्र ,गौ दुग्ध से होता है .जरुरत है तो बस अपनी संस्कृति को बचाने की जिस संस्कृति को समझने यूरोपियन भारत खीचे चले आते है .जरुरत है तो इस देश को भरष्ट मंत्रयो से बचाने की ,कोर्प्रेट घराने से बचाने की .इस देश में अब भी लाखो प्रकार की जड़ी बतिया खनिज पैदा होते है जरूरत है तो बस सव्देशी अपनाने की .
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