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जिस तरह से पाकिस्तान एक आतंक का गढ़ बन चुका है और आइएसाइ का समर्थन भी उसे हासिल है . नजाने कितनी बार भारत में पाकिस्तान की आई एस आई की मदद से आतंकवादी हमले विस्फोट हुए ,घुस्पैठे हुई ,गोलीबारी हुई . परन्तु हमारे देश की सरकारों ने -न तो पाकिस्तान के आतंकी ढांचों को नष्ट किया और न ही पाकिस्तान की फोज़ का खुलकर मुकाबला किया .पाकिस्तान की फोजो ने सीज फायर का उलंघन किया हर तरह से पाकिस्तान ने युद्ध की पहल की .वह अलग बात है की वह हमसे हर युद्ध हारा है लेकिन यह भी उतना ही सच है हमारी सरकार न तो अब तक आतंकी ढांचों को नष्ट कर पाई और न ही हाफ़िज़ सईद ,या फिर हेडली जैसो को भारत की जेलों में चक्की पिसवा सकी . पाकिस्तान पहल करता गया और हम उसकी पहल को छोटी -मोटी गलती की तरह लेते रहे पहले उसने आतंक की फसल बोने के लिए अमेरिका से पैसे ऐठे और अब चीन की मदद से आधुनिक हथियारों में तरक्की कर रहा है .
मित्रो कभी -कभी एसा लगता है पाकिस्तान को पालने वाली अमेरिका या चीन की सरकारे नही बल्कि भारत की सरकारे ही है जो हर हमले के बाद भारत की जनता को मुआवजा तो देती रही लेकिन उस बिमारी का इलाज़ न कर सकी जहा इसकी जड़े है .वही बिमारी आज भारत के लिए कैंसर जैसी घातक बिमारी बन गयी है जो हर maah या chaar माहीने में आतंक के रूप में हामरे सामने आ जाती है .मित्रो ,जब इंदिरा गाँधी की सरकार थी तब हमारी फोज़ ने ९६,००० सैनिको को गुलाम तो बनाया लेकिन उन्हें सही सलामत छोड़कर सबसे बड़ी गलती कर डाली .यदि पाकिस्तानी सेना इतनी बड़ी संख्या में भारतीय सैनिको को गुलाम बना देती तो क्या वह भी भारतीय सैनिको को सही सलामत भारत आने देती ?या तो हमारे सैनिक मार दिए जाते या फिर जबरन इस्लाम कबूल करने के लिए प्रताड़ित किए जाते .वह अलग बात है पाकिस्तानी सेना कभी भी भारत के सैनिको को इतनी बड़ी तादाद में गुलाम नही बना सकती .फिर भी पाकिस्तान के राजनैतिज्ञ तो भारत को घेरने या फिर कमजोर करने की साजिशो में लगे ही रहते है …………
लेकिन भारत सरकार उन लोगो को भारत में कदम रखने देती है जो भारत के दुश्मन ही नही बल्कि भारत में अशांति फैलाने के जिम्मेदार भी है .मित्रो क्या ऐसे मुल्क से दोस्ती की बात करना जायज है जो काश्मीर के युवको को सेना पर पत्थर बरसाने ,मारने के लिए पैसे देता हो .मित्रो क्या ऐसे मुल्क के नेताओं को भारत में घुसने देना जायज है जो भारत के दुश्मन चीन के साथ भारत को घेरने की तैयारी में लगा हो . मित्रो ,क्या इस तरह पाकिस्तान के नेताओं के साथ काश्मीर पर बार -बार बातचीत करना हमारे देश को कूटनैतिक सत्र पर कमजोर नही करता ?क्या इस तरह से उस आतंकी देश के नागरिको को या नेताओं को भारत में बुलाना और उनकी आवभगत करना कश्मीर पर वार्ता करना और जो काश्मीर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है उस पर वार्ता न करना हमारे सेना के जवानो के मनोबल को कम नही करता ?
मित्रो मै तो यही कहूँगा फिर भी पाकिस्तान के नेता हमारे नेताओं से कड़े फैसले लेने में सक्षम नजर आते है …और पाकिस्तान के हितो की बात मजबूती से उठाते है . ताज़ा मामला भी कुछ इसी और इशारा करता है …….जिस तरह से हिना रब्बानी को पाकिस्तान के नेताओं ने वापस बुला लिया है अमेरिका से ……..क्या भारत सरकार एसा कडा फैसला ले सकती है ?जब की अमेरिका भारत के हर मामले में खुला हस्तक्षेप करता है .(अब तो वह प्रधानमन्त्री की दावेआरी भी तय करने लगा है .
पाकिस्तान जिसके पैसो पर पलता है यदि वह उसे ही आँखे दिखा सकता है जो की विश्व शक्ति है आज दुनिया की तो फिर हम क्यों उस देश को उसके दंड की सज़ा तक नही दे सकते जो हमारी ही जमीन पर जीवन यापन कर रहा है और हमारे ही निर्दोष लोगो की जान का दुश्मन है ?
मित्रो यह तस्वीर जो आप देख रहे है इसमें हमारे नेता जी पाकिस्तान से दोस्ती करने को आतुर नजर आ रहे है देखिये कैसे देशभक्तों की चोटिल छाती पर मिर्च छिडकी जा रही है . वह चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर आज के सिंह इज किंग (मनमोहन सिंह ) सभी को पाकिस्तानी नेताओं से हाथ मिलाना है ?साथ ही एक फोटो भी खिच्वानी है वोट बैंक पुख्ता होने की गारंटी तो इसी फोटो में है ?और अब दूसरी तस्वीर देखिये ज़रा .
इस भयानक आतंकवादी की शक्ल को कैसे भूल सकते है हम……….. जो पाकिस्तान की आई एस आई और हाफ़िज़ सईद की मदद से भारत में आतंक फैलाकर भी जेल में आराम से बिरयानी खा रहा है . लेकिन उसे फ़ासी पर नही लटकाया जा रहा .बल्कि पाकिस्तान की टीम को भारत बुलाया जाता है वह हमें गोली से मारते है और हम उनकी गेंद को बल्ले से पीटकर संतोष कर लेते है . मित्रो २६-११ के बाद हमारी सरकार ने एक कड़ा फैसला लिया था पाकिस्तान से बातचीत न करने का परन्तु फिर से वही वार्ता शुरू कर दी .फिर से अमन की आशा शुरू कर दी
चाहे लाखो अमन की आशा बना दो चाहे बुला लो तुम लिटल चैम्प्स में पाकिस्तानी कलाकारों को उनकी सोच नही तुम बदल पाओगे .मित्रो क्या आपको लगता है मनमोहन या फिर अटल या फिर कोई भी नेता जो आगे हमारे देश पर्धान्मन्त्री बनेगा वह पाकिस्तान को बातचीत के जरिये समझाने में सफल होगा ? क्या आप मानते है करिकेट में भारतीय टीम की जीत से या वर्ड कप जित जाने से .या फिर किसी पाकिस्तान के नेता या गायकार को यहा बुलाने से आतंक पीडितो के जख्मो को भरा जा सकेगा .क्या आप मानते है की बातचीत से पाकिस्तान आतंक की फसल बोना बंद कर देगा ?क्या आप मानते है यदि भारत सरकार पूरे कश्मीर को भी पाकिस्तान को सोप दे तो उसकी ‘दुम’ सीधी हो जायेगी क्या गारंटी है की वह भारत के खिलाफ फिर भी साज़िश नही रचेगा .
मित्रो ,हमारे राज्नैतिग्य आज गलती पर गलती आर रहे है पहली गलती तो वह पाकिस्तान के मामले में कर रहे है और दूसरी गलती हम चीन को व्यापार में छुट देकर कर रहे है .तीसरी और सबसे अहम गलती यह है की हम अमेरिका और पाकिस्तान से दोस्ती के चक्कर में रूस ,भूटान ,नेपाल ,क्षी लंका जैसे मित्रो को खोकर कर रहे है . लंका के साथ हम वफा न कर पाए लिट्टे के मामले में उसे लिट्टे के साथ युद्ध में मदद न देकर उसका फायदा चीन ने उठाया जिसका नतीजा चीन और लंका आज मित्र है .वैसे चीन की कमर तोड़ने का सबसे आसान तरीका है हमारे पास लेकिन हमारे राजनैतिज्ञ उस बर्मास्त्र का उपयोग नही कर रहे वह बर्म्हस्त्र है चीनी वस्तुओ पर प्रतिबंध .जिससे की उसकी आधी अर्थवयवस्था चोपट हो जायेगी और वह खुद भारत के परती नर्म रुख अपनाने लगेगा और पाकिस्तान की भी हेकड़ी टूट जायेगी .चुकी अमेरिका अब उसे झेल नही सकता और इस फैसले से चाइना भी उससे दूर हो जाएगा . परन्तु यह कार्य इच्छशक्ति में कमी होने की वजह से शायद ही हमारे देश के नेता करे .
मित्रो जो यह नदी देख रहे है वह भारत की पवित्र नदी है भारत की ‘बर्ह्म्पूत्र ” अब उसकी नजर इसी पर है .जैसा की आप जानते है चीन में झीले सुख रही है तालाब सुख रहे है तभी वह इस जल का मुह अपनी तरह मोड़ना चाहता है . लेकिन उसके इरादे इतने ही नही है बल्कि इस नदी के जल को वह भारत के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल कर सकता है .जी हां अपनी मर्ज़ी मुताबिक़ वह भारत को युद्ध से पहले ही डूबा सकता है .अब भारत सरकार क्या कर रही है ?बीजेपी और कोंग्रेस आपस में लड़ रही है दोनों घोटाले कर रहे है . हमारी अपनी सरकारे साधू संतो पर केस बनाने में जुटी हुई है अपने लोगो को आतंकी बता रही है .
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