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मंदिरों के चढावे में लुट ?

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मित्रो क्या आपको लगता है हमारा देश आजाद है मुझे तो नही लगता हमारा देश आजाद है मुझे तो नही लगता आजादी के ६४ सालो बाद भी इसमें पूर्ण सवराज नाम की कोई चीज़ बाकी बची है .जिस तरह से गजनी ,ओरंगजेब ,या अंग्रेज मुगले हमारे देश को लुटते थे वही लुट आज भी चल रही है .जैसे पहले विदेशो में उट ,घोड़ो पर धन दोलत हीरे जवारात जाते थे वैसे ही अब भी विदेशो में जा रहे है .फर्क सिर्फ इतना है की अब स्विस बैंक में जमा हो रहे है .जैसे पहले हमारे मंदिरों को निशाना बनाया जाता था वही लुट अब भी जारी है .इसी ही लुट टुजी सपेक्त्रम में और ऐसी ही लुट मंदिरों में चढ़े धन के साथ भी हो रही है .
यदि आप सोचते हैं कि मन्दिरों में दान किया हुआ, भगवान को अर्पित किया हुआ पैसा, सनातन धर्म की बेहतरी के लिए, हिन्दू धर्म के उत्थान के लिए काम आ रहा है तो आप निश्चित ही बड़े भोले हैं। मन्दिरों की सम्पत्ति एवं चढ़ावे का क्या और कैसा उपयोग किया जाता है पहले इसका एक उदाहरण देख लीजिये, फ़िर आगे बढ़ेंगे-

कर्नाटक सरकार के मन्दिर एवं पर्यटन विभाग (राजस्व) द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 1997 से 2002 तक पाँच साल में कर्नाटक सरकार को राज्य में स्थित मन्दिरों से “सिर्फ़ चढ़ावे में” 391 करोड़ की रकम प्राप्त हुई, जिसे निम्न मदों में खर्च किया गया-

1) मन्दिर खर्च एवं रखरखाव – 84 करोड़ (यानी 21.4%)
2) मदरसा उत्थान एवं हज – 180 करोड़ (यानी 46%)
3) चर्च भूमि को अनुदान – 44 करोड़ (यानी 11.2%)
4) अन्य – 83 करोड़ (यानी 21.2%)
कुल 391 करोड़
मित्रो यह एक स्थिति है देश की जो की पुराने आकडे से आपके आगे बया कर रहा हूँ .और यह आकडे मात्र कर्नाटका के है देश के बाकी बड़ी -बड़ी सटेट्स का हाल वर्तमान में इससे भी बत्तर है .किस तरह से मंदिरों में लुट की जा रही है आप समझ सकते है आदिकाल से मंदिरों में जो पैसा दान राशि के रूप में आता था वह हमारे राजा महाराजा भारतीय शिक्षा ,विकास और परजा की भलाई में खर्च करते थे लेकिन आजादी के बाद जो राजा बने लगता है …………वह तो विदेशी एजेंटो की तरह काम करते रहे .
मित्रो ,भारत में ऐसे सैकड़ो मंदिर है जिनमे करोडो का चढावा भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर चढाते है . लेकिन सेकुलर सरकारों ने उनकी श्रद्धा भावना को भी नहीं बख्शा . मित्रो हमारा मिडिया हमेशा आसाराम बापू पर ,स्वामी रामदेव पर , तो नजर गडाए रखता है परन्तु इसे वह खबर ही नही मानता जब की साफ़ हिन्दुओ की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है .हमारे मीडिया दलितों से अत्याचार की खबरों को मिर्च मसाला लगाकर पेश करता है लेकिन देश से लुट ,देश से खिलवाड़ की जा रही है उसे प्रकाशित नही किया जा रहा .सोचिये हमारा खुद का पैसा ,हमारे भगवान् का पैसा हमारी ही मात्र भूमि को छिनने ,ध्र्म्परिवार्त्न करवाने में खर्च किया जा रहा है ,सोचिये कैसे उन पैसो से मदरसे खोले जा रहे है जिस पैसे से सनातम शिक्षा को बढ़ावा मिलना चाहिए ,गुरुकुल ,खुलने चाहिए गरीबो की सहायता की जानी चाहिए उसी पैसे को हिन्दुओ के खिलाफ खर्च किया जा रहा है .बेशक आज आधी से ज्यादा हिन्दू आबादी भूखी मर रही है उसके पास पहनने के लिए कपडे नही लेकिन मदरसों, हज पर जाने के लिए के लिए पैसे देना सरकार का फ़र्ज़ है कैसी आजादी है भाई ये ? मीडिया भी मंदिर का पुजारी छोटी सी भी लुट करे या कोई गड़बड़ करे तो धरती को फाड़ देता है आसमान उठा लेता है परन्तु सेकुलरिस्म के नाम पर जो लुट हो रही है वह लुट उसे लगती ही नही है .
मित्रो इन आकड़ो से सवाल पैदा होते है क्या पकिस्तान या फिर किसी इस्लामिक मुल्क की मस्जिदों में जो चढावा या दान अता है उसका उपयोग भी मंदिरों पर खर्च होता है .या अमेरिका इंग्लैण्ड में जो चर्च है उनका पैसा भी हज सब्सिडी ,या फिर मदरसों पर खर्च होता है .इन सभी का जवाब आपको नही में मिलेगा . फिर ये लूट हिन्दुस्तान में ही क्यों ?
नोट = उपर लिखित आकडे धर्मनिरपेक्ष सरकारों के समय के है उन मदिरो के धन में और भी ज्यादा लुट हो सकती है जहा वर्तमान में सेकुलर सरकारे है .जैसे जम्मू -कश्मीर बाकी आपको भी मालोम है इस देश में कहा कहा सेकुलर सरकारों का राज चलता है .

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