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अन्ना का कोंग्रेसी विरोध एक दूरगामी सोच है ……..

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मित्रो ,वैसे तो मै लालू प्रसाद यादव की हर बात से असहमत रहता हूँ लेकिन एक बात से मै भी सहमत हूँ और शायद आप भी आप भी सहमत हो . लालू जी ने अपने एक ब्यान में कहा है भारत में चुनाव जाती सम्मिकर्ण तय करते है न की अन्ना या फिर कोई और .इस बात में सच्चाई कितनी है आप खुद इस बात का अंदाज़ा लगा सकते है जैसा की आप सभी जानते है यदि किसी क्षेत्र में गुज्जर अधिकता में है तो वहा गुज्जर जितने की सम्भावना अधिक है .वैसे ही जहा जाट अधिक है वहा जाटो के जितने की सम्भावना है . ऐसे ही यह बात पंजाबी या फिर बनिया ब्राह्मण पर लागू होती है .लेकिन हिसार की स्थिति कुछ अलग सी है यहाँ जाटो की जनसँख्या “चार लाख अस्सी हजार के करीब है यानि की ये वोट जिसकी झोली में गये उसकी जितने की सम्भावना है .लेकिन यहाँ एक और पेच है हिसार लोकसभा क्षेत्र से दो उम्मीदवार जाट है .एक कोंग्रेस से जय प्रकाश जी और दुसरे है अजय सिंह चोटाला जी .दोनों की जाटो में अच्छी खासी पैठ है और दोनों ही लोकप्रिय नेता है यही पैठ जाटो के वोटो को बाट सकती है .लोग -बाग़ जो आसपास के है वह अनुमान लगा रहे है की “जय प्रकाश ” या फिर अजय दोनों जाटो के वोट अधिक से अधिक लेने का प्रयास करेंगे .
अब तीसरे प्रत्याशी है” कुलदीप बिश्नोई “ जिनके पास प्रचार के लिए कोई बड़ा नेता नही है लेकिन वह एक नॉन जाट उम्मीदवार है . नॉन जाट मतदाता की जनसँख्या अच्छी खासी है लगभग “सात लाख कुछ हजार ” जिन पर कुलदीप की दृष्टि हमेशा से ही रही है .और इस बार भी वह इन्ही मतों को अपनी सम्पति समझ कर चुनाव लड़ रहे है हो सकता है वह सही हो .यदि वह सही साबित हुए तो उनकी जीत हो सकती है .इस बात को टीम अन्ना भी समझ रही होगी . तभी तो निकल पड़ी है कोंग्रेस के विरोध में . वह अच्छी तरह जानते है यहाँ जीत किसकी होगी और इस जीत के बाद उन्हें कोंग्रेस के सबसे बड़े विरोधी के रूप में देखा जायेगा .लेकिन अन्ना का विरोध भारत की राजनीति में कोई अधिक मायने नही रखता चुकी यहाँ जीतता वही है जिसके साथ जातीय भावनाए होती है .फिर भी अन्ना का विरोध जारी है …………..
इस सारे खेल में बीजेपी फस रही है – मित्रो ,यदि यह चुनाव हजका और बीजेपी गठबंधन जीतता है तो हरियाणा में बीजेपी के हालत सुधरने की गुंजाइश बनती है मै यह तो नही कह सकता की बीजेपी और हजका अगली बार मिलकर सरकार बना लेंगे लेकिन इतना जरुर है की उनकी स्थिति सुधरेगी एक सन्देश जरुर पहुचेगा जनता के बीच की हाँ ये लोग कुछ कर सकते है . लेकिन अन्ना की तारीफ करके और अन्ना के गुणगान में लिप्त होकर बीजेपी अपनी साख घटा रही है चुकी अन्ना विरोध के बाद यदि वह चुनाव जीती तो इसका” श्रेय ” राष्ट्रीय मिडिया अन्ना को ही देगा न की बीजेपी या हजका को .और जनता में यही सन्देश जायेगा की बीजेपी का अपना कोई जनाधार नही बल्कि यह तो सब अन्ना का किया धराया है .और इस तरह बीजेपी फिर से हरियाणा में पिछड़ जाएगी . इसी स्थिति में अन्ना हजारे कोंग्रेस के विकल्प के तोर पर निकलेंगे मै ये नही कह रहा की वह चुनाव लड़ेंगे लेकिन उन्होंने जैसा कहा है की वह चाहते है अच्छे आदमी चुनाव में उतरे वह उन्हें स्पोट करेंगे यानि किरण बेदी ,प्रशांत , और केजरीवाल और भी तमाम लोग . ऐसे में अगला चुनाव होगा कोंग्रेस vs टीम अन्ना ‘ यानी धर्मनिरपेक्ष vs धर्मनिरपेक्ष .यानी कोंग्रेस विरोध के पीछे की अन्ना की मंशा दूरगामी सोच के तहत है .

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