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जैसे ही एल के अडवाणी ने अपनी रथयात्रा की घोषणा की थी तब से मिडिया द्वारा और कुछ ब्लोग्गरो द्वारा उन पर तरह – तरह के आरोप लगाये गये थे . किसी ने कहा की वह पीएम बनने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे है ,किसी ने कहा उनकी यात्रा सफल नही होगी ,किसी ने कहा की अडवाणी अवसरवादी है . यहाँ तक की उनकी पार्टी के नेता और शुरुआत में संघ भी अडवाणी से नाराज़ दिखे .लेकिन अडवाणी ने संघ का समर्थन हासिल किया . इस विरोध में ऐसे लोग भी कम नही थे जो बीजेपी से थे . लेकिन असली सवाल यह उठता है की इस देश में आखिर भ्रष्टाचार ,काला धन ,आतंकवाद ,गरीबी ,का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठाने वाला कोन नेता है ? बाबा रामदेव ने इस मुद्दे को उठाया था लेकिन पूरे देश ने उनका हश्र अपनी आँखों से देखा .व्ही अन्ना हजारे ने भी इस मुद्दे पर मिडिया की मदद से भीड़ को बुलाया लेकिन हुआ क्या ?जन्लोक्पाल अब तक लटक रहा है बेवजह देश की उर्जा बेकार हुई . ……. अब एक बार फिर अन्ना सरकार को अनशन करने की धमकी दे रहे है यानि फिर से मिडिया की मदद से अनशन लेकिन उसके बाद भी कोई गारंटी नही की सरकार मान जायेगी …….जब की एक ८४ साल का बजुर्ग नेता देशकी जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहा है ,देश के कई राज्यों , जिलो ,गावो में जाकर देश में भ्रष्टाचार के प्रति अलख जगाने की कोशिश कर रहा है लेकिन यह बात कुछ लोगो को हजम नही हो रही कई लोग संघठित होकर उन पर तरह -तरह के आरोप लगा रहे है .ऐसे लोगो से मै पूछता हूँ क्या अब हमारे देश में केवल अन्ना और उनकी टीम को ही यात्राए ,विरोध ,अनशन करने का अधिकार रह गया है .बाबा रामदेव यदि सत्यग्रह करे तो मिडिया में उस सत्यग्रह की कोई कवरेज नही , यदि बाबा झाँसी से यात्रा शुरू करे तो भी केवल प्रारम्भ में ही कुछ झलक दिखाकर मिडिया का कर्तव्य पूरा हो जाता है .लेकिन अन्ना यदि सरकार को एक धमकी मात्र भी दे – दे या फिर एक ब्यान भी दे – दे तोभी वह एक बड़ी खबर बन जाती है .आखिर हमारा मीडिया अन्ना पर इतना मेहरबान और एल के अडवाणी और बाबा रामदेव से नाराज क्यों है .आखिर मिडिया का ये दोगला रवैया क्यों है ? आखिर किसलिए बार -बार बाबा रामदेव- एल के अडवाणी को कमजोर दिखाने की कोशिश होती है ?आखिर किसलिए जनता को अन्ना में एक सशक्त नेत्रित्व के सपने दिखाए जा रहे है ?मेरा विरोध अन्ना हजारे से नही …….मेरा मानना है लोकतंत्र में सभी को शांतिपूर्वक विरोध या रैली निकलने का हक़ है लेकिन जब बार -बार अन्ना को अडवाणी और बाबा रामदेव से मजबूत दिखाया जाता है तब लगता है कही न कही कोई षड्यंत्र रचा जा रहा है .जब की अन्ना की टीम के दो -दो सदस्य कश्मीर पर दिए गये बयानों में फसे हुए है वह ब्यान मिडिया न तो दिखा रहा है और न ही उन बयानों पर अन्ना से सवाल पूछे जा रहे है बल्कि इस तरह के बयानों को अभिवयक्ति की आजादी बताने की कोशिश हो रही है . तब मिडिया पर संदेह होना लाजिमी है . ……….वैसे तो देशहित में जो भी लोग सामने आये उन सभी का समर्थन करना चाहिए न की एक ही व्यक्ति को संविधान से उपर मान लिया जाना चाहिए और न ही उसी की बातो को देशहित में मान लिया जाए और बाकियों को हाशिये पर धकेल दिया जाये . जैसे सचिन करिकेट से संन्यास ले लेंगे तब करिकेट को भगवान भरोसे नही छोड़ दिया जाएगा तब भी भारत में अच्छे -अच्छे खिलाड़ी पैदा होते रहेंगे . वैसे ही अन्ना हजारे का आन्दोलन सफल नही होगा तो जनता और मीडिया को अडवाणी या फिर बाबा रामदेव के आन्दोलन को सफल करने की मुहीम में जुट जाना चाहिए .
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