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सभी को मेरी नमस्कार ……….
श्री अन्ना हजारे जी ने एलान कर दिया है की यदि सरकार ने जन्लोपाल नही बनाया तो फिर से आन्दोलन होगा . लेकिन क्या गारंटी है की अब की बार अन्ना पिछली बार की तरह आन्दोलन को बीच में नही छोड़ेंगे ? आज अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा ब्रांड है उनकी एक स्पीच जो की वह मिडिया में देते है और जनता से अपील भी मिडिया के कैमरों पर ही करते है से हजारो की जनता उमड़ जाती है बहुत से लोग अपनी नोकरी -काम -धंधे छोड़ देते है .बहुत से लोग दो -दो दिन तक सोते नही है चुकी उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने और देश के लिए कुछ करने के बहुत कम मोके मिलते है .ऐसे में भारत की जनता की भावना को देखते हुए अन्ना हजारे को इस बार के आन्दोलन में कुछ सावधानिया बरतनी चाहिए ताकि इस आन्दोलन से केवल अन्ना और उनकी टीम ही लोकप्रिय न हो बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र लाभन्वित हो सके .
१ अन्ना हजारे हर उस राष्ट्रभक्त को साथ लेकर चले जो भर्ष्टाचार के खिलाफ है बेशक वह बाबा रामदेव हो .चुकी अन्ना हो या बाबा संघठित होकर ही किसी लड़ाई को जीत सकते है .
२ इस बार मंच के आस -पास प्रशांत भूषण , अग्निवेश को भटकने भी न दे
३ बाबा रामदेव ही नही कोई भी साधू संत आसाराम ,श्री श्री , मुरारी बापू या फिर कोई और जो भी मंच पर आना चाहे उसका स्वागत हो .चुकी इन लोगो के पास बहुत मात्र में इनके अनुयायी है यदि ये लोग भी इस लड़ाई में साथ होंगे तो भर्ष्टाचार के प्रति लड़ाई मजबूत होने की उम्मीद बढ़ेगी .
४ केवल केजरीवाल या किरन बेदी को ही आगे न किया जाए बल्कि दलित राष्ट्र भक्तो को भी भागीदारी दी जाए जिससे की उन पर दलित विरोधी आरोप न लगे
५ भारत माता का चित्र फिर से मंच पर लगाया जाए किसी भी तरह का समझोता न हो
६ मंच से किसी पार्टी का नाम न लिया जाए बल्कि इसका मुद्दा कला धन और जन्लोक्पाल ही होना चाहिए
८ अगर आन्दोलन होता है तो अन्ना को अनशन नही करना चाहिए अनशन की जगह मुद्दों पर ध्यान होना चाहिए .चुकी पिछली बार उनके अनशन तोड़ने को लेकर दबाव था जिसके कारण बार -बार लग रहा था अनशन खत्म तो आन्दोलन खत्म
यदि यह सब अन्ना हजारे करेंगे तो अन्ना की इज्ज़त राष्ट्रभक्तो में कम नही होगी बल्कि और ज्यादा होगी . साथ ही आन्दोलन भी सफल होगा .एक और बात यह आन्दोलन ” अन्ना vs कोंग्रेस ” नही होगा बल्कि ‘ जनता vs सरकार ‘ का होगा .बस इतना है की इस आन्दोलन का क्रेडिट मीडिया अन्ना को नही देगा और उन पर आसाराम या फिर बाकि साधू संतो को मंच पर बैठाने के आरोप लग सकते है .लेकिन यदि अन्ना हजारे सच में देश के लिए कुछ करना चाहते है ,देश को कुछ देना चाहते है तो इन सभी लोगो को संघठित करके ही आन्दोलन को सफल किया जा सकता है .यदि वह इन लोगो को अपने मंच पर नही लाना चाहते तो इसका मतलब यही है की उन्हें डर लगता है कही ये लोग सारा क्रेडिट न ले जाए कही उनकी लोकप्रियता कम न हो जाए .
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