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शहीद मदन लाल धींगडा का देशवासियों के नाम ख़त

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प्यारे देशवासियों ,
मै ये सवीकार करता हूँ मैंने एक अंग्रेज का खून बहाया है और इसलिए बहाया है मै भारतीय देशभक्तों को अमानवीय रूप से फ़ासी के फंदे पर लटकाए जाने और आजीवन काले पानी की सजा दिए जाने का बदला ले सकू . इस प्रयत्न में मैंने अपनी अतरात्मा के अतिरिक्त किसी और से परामर्श नही लिया और अपने कर्तव्य से अतिरिक्त किसी से साथ -गाथ नही की .मेरा विशवास है जिस देश को संगीनों के साये में दबा कर रखा जाता हो वह हमेशा ही आजादी की लड़ाई लड़ता रहता है .जिस देश के हथियार चीन लिए गये हो वह खुली लड़ाई की स्थिति में नही होता .मै खुली लड़ाई नही लड़ सकता था इसलिए मैंने आकस्मिक रूप से आक्रमण किया .मुझे बन्दूक रखने की मनाही थी इसलिए मैंने पिस्तोल चला कर आक्रमण किया .
हिन्दू होने के नाते मै यह विशवास करता हूँ मेरे देश के प्रति किया गया अपराध इश्वर का अपमान है .मेरी मात्रभूमि का कार्य ही भगवान राम का कार्य है .मात्रभूमि की सेवा ही भगवान श्री कृष्ण की सेवा है .मुझ जैसे धनहीन व् बुद्धिहीन व्यक्ति के पास अपने रक्त के अतिरिक्त मात्रभूमि को अर्पित करने के लिए और क्या था ,इसी कारण मै मातर -देवी पर अपनी रक्तान्जली अर्पित कर रहा हूँ .भारतवर्ष के लोगो को इस समय सिखने के लिए एक ही सबक है और वह यह है मृत्यु का आलिंगन किस तरह किया जाये और यह सबक सिखाने का एक ही तरीका है सवयम ही मर कर दिखाया जाये ,इसलिए मै मर कर दिखा रहा हूँ और मुझे अपनी शहादत पर गर्व है .यह पद्धति उस समय तक चलती रहेगी जब तक पृथ्वी के धरातल पर हिन्दू और अंग्रेज जातियों का अस्तित्व है (पराधीनता का यह अस्वाभाविक सम्बन्ध समाप्त हो जाये तो अलग बात है ). इश्वर से मेरी एक ही प्रार्थना है की वह मुझे नया जन्म भी भारत माता की गोद में ही प्रदान करे और मेरा वह नया जीवन भी भारत माता की आजादी के पवित्र कार्य के लिए समर्पित हो .मेरे जन्म और बलिदान का यह कर्म उस समय तक चलता रहेगा जब तक भारत माता आजाद न हो जाये . मेरी मात्रभूमि की आजादी परमात्मा के हित -चिन्तन और परम -पिता परमेश्वर के गोरव -संवर्धन के लिए होगी .
वन्दे मातरम

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