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कल ही एक समाचार चैनल पर महाबहस कराइ गयी (क्या करवाचोथ महिला विरोधी है . उस महाबहस में कई महिलाए शामिल थी जो बार -बार कह रही थी की हां ये महिला विरोधी है . पुरूष क्यों नही करता इस तरह का उपवास , ये महिलाओ के लिए एक दंड है . लेकिन दूसरी तरफ दो महिलाओं को और बैठा रखा था जो कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी वर्त ,उपवास के कुछ वज्ञानिक कारण बतला रही थी लेकिन जैसे ही वह बोलने लगती तभी उनकी आवाज़ को दबा दिया जा रहा था .जैसे लग रहा था की यदि यह महिलाए इस उपवास का कुछ स्पष्टीकर्ण रखने की कोशिश कर रही हो लेकिन उनकी बात शुरू होते ही दबाया जा रहा था. वैसे तो देखा जाये तो यह हमारा अंदरूनी मामला है ,यह हमारी संस्कृति है ,परम्परा है और इससे भी अधिक यह एक पवित्र त्यौहार है इसमें कोई फूहड़ता नही है ,कोई अश्लीलता ,असभ्यता नही है . फिर भी हिन्दू संस्कृति ,मान्यताओं को कमजोर करने के लिए यह बहस हुई . इस तरह की बहस का एक ही कारन समझ में आता है हिन्दुओ को गरियाना उनकी मान्यताओं को कमजोर करना . और इन सभी कारण है हिन्दुओ का हद्द से ज्यादा सहनशील होना .
दीवाली आने को है सभी मिडिया चैनल मिलावटो की खबरे ला रहे है .बता रहे है मिठाई में मिलावट है .पहले कहते थे पटाखे न बजाना हाथ जल जाएगा .जैसे तो बाकी के समुदाय इस देश में त्यौहार नही मनाते ,पटाखे नही बजाते ,मिठाई नही खाते ,उनके किसी त्यौहार में पटाखे नही बजते ,मिठाई नही आती लेकिन हिन्दुओ के त्यौहार आते ही इन्हें पता नही क्या हो जाता है ? पता नही यह किस वजह से हो रहा है . पिछली बार मिठाई की दुकानों पर लाखो रुपयों की मिठाई बच गयी थी इससे नुक्सान भारतीय दुकानदारो का हुआ .वही ‘ चोकलेट या कुरकरो’ की बिक्री बढ़ गयी थी .मिठाई वाले भारतीय है बेचारों को भारी नुक्सान सहना पड़ा था जब की हर दुकानदार मिलावटी नही होता . लेकिन इस कुप्रचार की मार हर भारतीय दुकानदार को सहनी पड़ती है .
होली –जब भी होली आती है इस तरह का परचार शुरू किया जाता है कृपया पक्के रंग न लगाये ,गुलाल में कुछ गड़बड़ है , चेहरे को नुक्सान पहुच सकता है ,तवचा खराब हो सकती है . इस सभी को देखकर आज का नोजवान खुद की खूबसूरती को खराब न करने के लिए कही उसकी तवचा न फट जाए वह होली ,फाग से तोबा करने लगा है यानी मीडिया होली जैसे त्यौहार के खिलाफ भी षड्यंत्र रचने में सफल हो रहा है .
कुछ दिनों पहले ही देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू से महिषासुर का शहादत दिवस और मैकाले का जन्मदिन मनाने की खबरे आई .महिषासुर कोई और नहीं बल्कि वही प्रतीक रूप राक्षस है जिसका देवी दुर्गा ने चंडी रूप में वध किया था. दिल्ली से प्रकाशित होनेवाली एक दलित पत्रिका में चंडी माता को एसा शब्द प्रयोग किया गया था जिसका मई उपयोग नही कर सकता .महिषासुर को शहीद का दर्जा दिये जाने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कई छात्र संगठनों ने तय किया था कि वे विश्वविद्यालय परिसर में महिषासुर का शहादत दिवस मनाएंगे. और मैकाले के जन्मदिन 25 अक्टूबर को मैकाले को याद करने की बाते सामने आई थी . लेकिन उस समय ये हिन्दू विरोधी मिडिया शांत बैठा रहा . लेकिन शांति से प्रेम से मनाये जाने वाले पर्व करवाचोथ पर महाबहस का आयोजन करने लगा जब की करवाचोथ जैसे त्यौहार में महिलाए अपने पति का सम्मान करती है और उनकी लम्बी आयु के लिए वर्त करती है . लेकिन भडकाऊ मिडिया का एकमात्र परम दये यही है की कैसे हिन्दू संस्कृति को गरियाया जाये .जिसके तहत वह महिलाओं और पूरोशो में एक खाई पैदा करता है कभी दलितों और सर्वानो में खाई पैदा करता है भडकता है .
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