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यात्रा यह एक एसा शब्द है जिसमे हम जिस जगह की यात्रा करते है वहा के लोगो के विचार जानते है कुछ अपने विचार देते है . उनके दुःख दर्द ,संस्कृति ,रोजगार के जुगाड़ ,रहन -सहन सभी पता लगाने की कोशिश करते है .चुकी हम एक राजनैतिज्ञ नही है इसलिए हम जहा बोलते है खड़े होते है वहा भीड़ एक्त्त्रित नही होती . कुछ दिन पहले ही बीजेपी को शीर्ष तक पहुचने वाले नेता लाल कृष्ण अडवानी भी यात्रा पर निकले है . लेकिन कुछ लोग उन पर राजनीती करने का आरोप लगा रहे है . कई बार कई लेखक यात्रा पर निकलते है उस जगह को जानने के लिए जिस जगह पर वे लिखना चाहते है .कई बार साधू लोग यात्रा पर निकलते है अपने ज्ञान को बाटने के लिए . महात्मा गाँधी जी भी यात्रा पर निकले थे दांडी यात्रा .लेकिन किसी भी यात्रा पर बवाल नही हुआ एक राम रथ यात्रा और वर्तमान की जनचेतना यात्रा को छोड़कर . जिस तरह से बाकी के लोग रथ यात्रा कर सकते है वैसे ही अडवाणी भी रथयात्रा कर सकते है लेकिन उनके विरोधी उन पर साम्प्रदायिकता के राजनीती करने के आरोप लगा रहे है तो कुछ लोग कह रहे है यह यात्रा अन्ना के आन्दोलन की लोकप्रियता को अपने पक्ष में लेना चाहती है . लेकिन पहली बात तो यह यात्रा किसी धर्म -जाती विशेष के लिए है ही नही …..फिर ये कैसे साम्प्रदायिक हुई और जहा तक अन्ना के आन्दोलन को अपने पक्ष में भुनाने की बात है अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था जो की केवल अन्ना का नही है, यह हर देशवासी का मुद्दा है . यदि अडवानी के विरोधियो की बात पर ध्यान दे तो वह इसे अन्ना का मुदा मानते है यदि एसा है तो अन्ना से पहले इस मुद्दे को सम्पूर्ण भारत में बाबा रामदेव ने उठाया था यानी की वह भी कह सकते है की इसका श्रेय उन्हें ही मिलना चाहिए लेकिन जिस काले धन का मुद्दा बाबा रामदेव उठा रहे है उसी काले धन का मुद्दा लाल कृष्ण अडवानी ने पहले ही चुनावों में उठा दिया था यानी क्या अब अडवानी भी बाबा और अन्ना से यही कहे की आप दोनों ने मिलकर मेरे मुद्दे छीन लिए है . यहाँ सभी लोगो को एक बात समझनी होगी जो कभी बाबा रामदेव का विरोध करते है तो कभी अदावनी की रथयात्रा का भ्रष्टाचार ,काला धन यह मुद्दे न तो बीजेपी के है ,न अन्ना के और न ही बाबा रामदेव के .ये मुद्दे देश के है ये मुद्दे देश को न्याय दिलाने और जागरूकता लाने के है . रथयात्रा विरोधी यह बात भी कहते है की अडवानी पीएम बनने के लिए यात्रा कर रहे है मै इसे लोगो से पूछता हूँ की हमारे देश में एसे लोग भी है जो मंत्री या संत्री बनने के लिए किसी भी तरह के हथकंडे अपनाने को तैयार रहते है चापलूसी ,चमचागिरी की सभी हदे पार कर डालते है .लेकिन अडवानी जी तो खुल्लमखुल्ला जनता से कह रहे है की वह भ्रष्टाचार पर जागरूक हो और काले धन को लाने के लिए जागरूकता दिखाए तो एसे में जनता उनको प्रधानमन्त्री की कुर्सी तक पहुचा देती है तो इसमें बुराई ही क्या है . अब बताइए क्या अडवानी जी इस यात्रा के जरिये मतदाता पर किसी तरह का कोई दबाव डाल रहे है ,या फिर कोई हाथ पाई हो रही है उनकी सभाओं में ,किसी अपशब्द का इस्तेमाल कर रहे है अडवानी जी ? फिर क्यों रथयात्रा का विरोध
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