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देश को एसा प्रधानमंत्री चाहिए जो देश के युवाओं का स्वाभिमान जगा सके

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देश को आजाद हुए चोसठ सालो से भी अधिक हो चुके है लेकिन इस देश में न तो सव्देशी विचारधारा को बचाने के लिए कुछ हुआ और न ही हमारे नेताओं में सव्देशी विचारधारा पैदा हुई . बताया जा रहा है की लीबिया एक तानाशाह से मुक्त हो चुका है आजाद देश की घोषणा होते ही यह घोषणा भी हुई की लीबिया में अब सभी क़ानून इस्लामिक होंगे सभी गैर इस्लामिक कानूनों को खत्म कर दिया जायेगा .पाकिस्तान भी खुद को इस्लामिक देश ही कहता है .शायद किसी भी देशवासी के देश प्रेम की भावना को जगाने के लिए उस देश के नागरिक का अपनी सभ्यता संस्कृति ,भाषा से जुड़ा होना आवश्यक होता है यही बात शायद इस्लामिक मुल्क बेहतर ढंग से जानते है . लेकिन हमारे भारत वर्ष में आजादी के बाद से ही हमारी संस्कृति को तोड़ने भाषा को तोड़ने के षड्यंत्र रचे जाते रहे है यहाँ न तो अपनी भाषा है बल्कि एक विदेशी भाषा अंग्रेजी को महारानी बनाया जा रहा है . कुछ एसा माहोल तैयार किया जाता रहा है की हमारे अपने लोग ही अपनी ही संस्कृति को जान नही पा रहे है . संस्कृति तो छोड़िए इस देश का कोई एक नाम ही नही बचा कोई इसे अंग्रेजो के दिए नाम इंडिया से पुकारता है तो कोई मुगलों के नाम से हिन्दुस्तान तो कोई भारत वर्ष को भारत के नाम से उन्हें हिन्दुत्त्व का मतलब आज कट्टरवाद बताया जाता है . संस्कृति ,धर्म को इस देश में रुढ़िवादी बताया जाता है जब की सच्चाई तो यही है की धर्म और संस्कारों के बिना देशभक्ति की भावना नही जाग सकती .यही बात गांधी जी जानते थे सरदार पटेल जानते थे और शायद आडवाणी जी भी . कुछ शक्तिया इस देश पर इस्लाम को रंगना चाहती है तो कुछ शक्तिया इसाइयत को . इन दोनों श्कतियो का मुकाबला करने वाला इस देश में शायद कोई नेता बचा नही बचा है तो वह सत्ता शीर्ष तक पहुचने में सक्षम नही या उसे पहुचने दिया नही जा रहा उस जगह तक . चुकी उन शक्तियों को मालूम है की इस तरह का कोई शख्स इस देश का सर्वेसर्वा बना तो उन देशद्रोहियों और विदेशी शक्तियों को मुश्किल हो सकती है तभी प्रचार और दुष्प्रचार या फिर कुछ एनजीओ टैप लोगो को खड़ा कर दिया गया है जो हर सही बात गलत ठहराते है .जैसे धर्मान्तरण का विरोध करने वाले गुंडे साम्प्रदायिक .देश द्रोहियों कश्मीर के खिलाफ बोलने वालो की पिटाई करने वाले गुंडे पुराने ख्यालो के ,अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने वाले . कश्मीर खिलाफ बोलने वाले अभिव्यक्ति की आजादी . हिन्दू धर्म पर ऊँगली उठाने वालो को यदि कोई पिटे तो देशभक्तों को गुंडा करार देना . इसी के अंतर्गार्ट आता है पश्चिमी कानूनों को भारत पर लादना जैसे लिव इन रिलेशनशिप ये एक एसा कानून है जिसकी स्थापना ठीक पश्चिमी देशो की नकल पर तो हुई ही है साथ ही इसका एकमात्र लक्ष्य भारतीयों को उनके रीती रिवाज से दूर करना और हमारे पारिवारिक ढाँचे को तोड़ना है . जिस तरह का खेल भारत में रचा जा रहा है उससे साफ़ है की आने वाली पीढ़ी देशभक्ति हिन् ,कमजोर और भारत की संस्कृति में विशवास न रखने वाली होगी .उसका एक ही मकसद होगा बीअर बार में बैठना और दो तीन गर्ल्फरैंड रखना ,बाइक पर घूमना . लेकिन हो सकता है की कभी भारत के कुछेक लोगो का सवाभिमान पहले ही जाग जाए लेकिन चर्च पोषित मीडिया उसे नही जागने देगा जैसे प्रशांत भूषण या फिर गिलानी ,अरुंधती के बयानों को अभिव्यक्ति की आजादी बता दिया जाता है यही षड्यंत्र आगे भी जारी रहेगा . यदि कोई इसका विरोध करेगा तो वह गुंडा ,विरोध का यह तरीका सही नही है इस तरह की खबरों से उसे दबा दिया जायेगा . इसलिए भारत को आज एसा प्रधानमन्त्री चाहिए जो उसे भारतीयता से जोड़ सके देशभक्ति की भावना को जगा सके और युवाओं का खोया स्वाभिमान जगा सके .

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