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अन्ना की मुहीम – बाटो और राज करो

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मित्रो ….जब बाबा रामदेव का आन्दोलन हुआ था लग रहा था की ये देश फिर से एक होगा .लगा की जातिवाद में बटे लोग तुच्छ भावनाओं से उपर उठकर देशहित में सोचेंगे . बाबा रामदेव की मुहीम ने एसा किया भी देश के लोग असल मुद्दों को पहचान रहे थे उनमे राष्ट्रभावना जागृत हो रही थी . देशवासियों में बाबा की मुहीम से एक विश्वास जागा था की इस देश में रामराज्य की स्थापना की और बाबा द्वारा की गयी एक दिन की रैली पहला कदम है और उन भरष्ट राजनीतिज्ञों को चेताने का भी जो भारत को एक दीमक की तरह खोखला कर रहे है . लेकिन बाबा के आन्दोलन से कुछ लोग इतने भयभीत हुए की उन पर लाठिया गोलिया चलवा दी गयी …..बहुत ही सुन्योजित तरीके से बाबा को बदनाम किया गया .उसके कुछ दिनों बाद जब मीडिया की मदद से एक और आन्दोलन हुआ तब भी लगा की देश का युवा जाग रहा है लोग अपनी नोकरी ,घर -बार छोड़कर अन्ना के आन्दोलन में शामिल हो गये . शायद कुछ समय के लिए मै भी और आप में से अधिकतर लोग भी ……………………
लेकिन जैसे – जैसे अन्ना के आन्दोलन का सच सामने आता गया वैसे -वैसे मन टूटता गया . हद्द तो तब हो गयी जब अन्ना ने लड़ाई को बिना जीते ही आन्दोलन को बीच में ही छोड़ दिया और झूठी बयानबाजी करके देश को बताया की हम जीत गये इस सारे खेल में मीडिया ने अन्ना का भरपूर साथ दिया . ऊपर से ओबामा द्वारा अन्ना की तारीफ कुछ समझ में नही आई की ओबामा को एसा क्या मिल गया की उन्होंने भी अन्ना की तारीफ कर डाली . भारत को तो कुछ मिला ही नही बल्कि भारत की जनता का मुद्दा तो काला धन था जो अन्ना आन्दोलन की वजह से ‘ भारत माता की जय ‘ के नारों में कही पीछे छूट गया .इसमें जिस तरह से मीडिया ने अन्ना का साथ दिया वह शक पैदा तो करता ही है की या तो दाल काली है या फिर दाल में कुछ काला है . हर बार अन्ना के सहयोगी किसी न किसी आरोप में फसे लेकिन मीडिया ने अन्ना का साथ नही छोड़ा आखिर मीडिया अन्ना पर इतना मेहरबान क्यों रहा ?बाबा रामदेव के जो मुद्दे है वह भारत हित में है और सम्पूर्ण है फिर भी मीडिया ने बाबा के पर्ती रूख अन्ना से काफी अलग रखा . एसा ही कुछ भारत के सबसे काबिल नेता लाल कृष्ण अडवानी के साथ है जो देश के सबसे बड़े और मुख्य नेता है उनकी रथयात्रा भी काले धन और भर्ष्टाचार पर ही है लेकिन मीडिया उनका एक ब्यान भी नही दिखा रहा जब की आडवाणी की रथयात्रा को भारी समर्थन मिल रहा है . अब एक बार फिर से अन्ना हजारे अनशन की बात कर रहे है ……………कुछ दिनों बाद आडवाणी की रथयात्रा भी पूरी हो जायेगी बीजेपी ने पहले ही घोषणा कर रखी है की यात्रा पूरी होने पर एक बड़ी रैली होगी . इससे ठीक पहले अन्ना का फिर से आन्दोलन का एलान करना क्या भारत की जनता को बाटने का प्रयास नही होगा जिस तरह से उन्होंने पहले देश को मुद्दों से भटकाया था क्या उसी प्रकार फिर से एक बार अन्ना देश को भटका नही रहे है .क्या यह सब वह बाबा और आडवाणी ,श्री श्री की यात्राओं और आंदोलनों की धार को कम करने के लिए कर रहे है . सवाल उठता है की वह एसा किसलिए कर रहे है …….
१ बीजेपी की रैली को सफल न होने देना
२ भारत की जनता को जागृत न होने देना
३ भारत की जनता को बाटना ताकि भारत की जनता का असल मुद्दों पर ध्यान कभी न जाए
४ क्या वह भारत में काला धन को कोई मुद्दा बनने ही नही देना चाहते
५ क्या वह फिर से किसी के लिए संजीवनी बनकर सामने आ रहे है
६ या फिर वह खुद्द ज्यादा लोकप्रिय दिखाने के चक्कर में देशहितो को टाक पर रख रहे है

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