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आडवाणी और अटल फोर्मुला दोहराने की तैयारी

ajad log
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मित्रो , याद कीजिये उस स्थिति को जब भारतीय जनता पार्टी को महज दो लोकसभा की सीटो में जीत मिली थी एक एसा भी समय था जब बीजेपी के नेताओं को देश मे जाना भी नही जाता था और याद कीजिये उस स्थिति को जब लाल कृषण आडवाणी ने राम रथ यात्रा निकालकर भाजपा को लगभग १८० सीटो के पास पहुचाया था ……………………
अब आप याद कीजिये २००९ चुनावों की स्थिति को जब आडवाणी को पीएम पद का नेता घोषित कर चुनाव लड़ा और भारतीय जनता पार्टी सत्ता का स्वाद न चख सकी . अगर हम २००९ के चुनावों का निष्पक्ष ढंग से विश्लेषण करे तो हम पायेंगे की उस चुनाव में आडवाणी तो थे लेकिन उनके साथ आडवानी नही थे . जी हां ………………….
जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमन्त्री बने तब भारतीय जनता पार्टी के पास दो नेता थे . एक नर्म एक गर्म …….यानी एक अटल और एक आडवाणी अटल जी का चेहरा धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को लुभाता था और आडवाणी जी की कट्टर छवि हिन्दुतत्व के कट्टर वोट बैंक की गारंटी कुछ लोगो का मानना है की उस समय यदि आडवाणी न होते तो अटल भी न होते . लेकिन २००९ के चुनावों में धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को लुभाने वाला चहरा तो था यानी आडवाणी जो की सक्षम है बाकी पार्टियों को लाने में . लेकिन कट्टर छवि का कोई नेता जो हिन्दू वोट बैंक को रिझा सके वह राष्ट्रीय राजनीति में नही था ………………………………………
लेकिन अब फिर से २०१४ की पिच तैयार है अब आडवाणी भी है और उनके साथ आडवाणी भी है यानी एक तरफ तो आज बीजेपी के पास नितीश जैसी सेकुलर पार्टियों को लुभाने वाले आडवाणी है और दूसरी तरफ कट्टर हिंदुत्व के चहरे नरेंद्र मोदी . एक तरफ लाल कृषण आडवाणी सेकूलर पार्टियों को लुभा सकते है उन्होंने एसा किया भी है गुजरात में नितीश की तारीफ़ करके . और दूसरी तरफ है नरेंद्र मोदी जिन्होंने टोपी न पहनकर कट्टर हिन्दुत्त्व की छवि को और मजबूत कर लिया है . एक तरफ तो मोदी कट्टर हिन्दू वोट बैंक का रूख फिर से बीजेपी में मोड़ सकते है जोश पैदा कर सकते है और दूसरी तरफ गठबंधन की स्थिति में आडवाणी विकल्प के तोर पर बने रह सकते है .यह ठीक वाही स्थिति है जैसी कभी आडवाणी जी ने बीजेपी और अटल जी के लिए तैयार की थी . वाही कार्य आज नरेंद्र मोदी कर रहे है बेशक संघ आडवाणी से कहे की उन्हें आशीर्वाद की मुद्रा में आ जाना चाहिए लेकिन संघ भी अच्छी तरह जनता है की गठबंधन की स्थिति में आडवाणी ही है इसलिए अभी तक पीएम पद का कोई उम्मीदवार तय नही हुआ है . यानी अब अटल भी और आडवाणी भी यानी मोदी भी और आडवाणी भी . इनमे से कोन यह स्थिति पर निर्भर करेगा ………

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