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मित्रो , किसी भी इंसान वो चाहे कितने भी उचे पद या सम्मान को हासिल करे उसे अपनी आलोचना अपमान सुनने की क्षमता होनी चाहिए . लेकिन कुछ इंसान बार -बार कहते तो है की अपमान सहने की आदत डालो लेकिन खुद उनके समर्थक उसे सहने में असमर्थ होते है. अब देखिये न मैंने अपने ब्लॉग पर अन्ना महान को लेकर कुछ लिखा तो लगे मुझे कहने की आपका दिमाघ सही नही है , आप सन्नी लीयोन के भाई है . मुझे समझ में नही आता की ये कैसा गांधीवाद है की एक आदमी जो कहे वही सही बाबा रामदेव गलत चुकी वह एक हिन्दू साधू है आडवाणी गलत . bas वह एक आदमी सही जो jiske मिडिया गुणगान गाये . आज ही बाबा रामदेव जी ने कहा की जन्लोक्पाल से गरीबी खत्म नही होगी , अन्ना के मंच से भी नेताओं ने भी कहा की जन्लोक्पाल से भर्ष्टाचार पूर्णतः खत्म नही होगा . इसमें सच्चाई भी है जन्लोक्पाल के अनशन में मानता हूँ की हमारा जोश जागता है उन गानों को हम पसंद करते है मिडिया में आने की कोशिश करते है लेकिन ये एक मनोरंजन की तरह है जैसे पहले १२ दिन के अनशन में देश का मनोरंजन हुआ था वैसे ही एक दिन के अनशन में हुआ जब की सच्चाई है की हमारे देश को खतरा धार्मिक आरक्षण से है ,खतरा विदेशी शिक्षा से है ,चिकित्सा भी हमारी ही होनी चाहिए . उस पर अन्ना नही बोलेंगे चुकी हिन्दू हित की बात करना तो साम्प्रदायिकता है . लेकिन ये मुद्दे गुम है कहा गुम हो गये ये सब मुद्दे आखिर क्यों श्री ,श्री अन्ना से अलग हुए .
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