- 250 Posts
- 637 Comments
एक शख्स तीन -तीन बार अनशन करे और उसका मुदा तीनो बार एक ही हो जन्लोक्पाल ………तीनो ही बार उसे भारी जनसमर्थन मिले जनता कहे की मै भी अन्ना तू भी अन्ना . लेकिन तीनो ही बार वह इंसान माफ़ी चाहता हूँ महात्मा (फ़कीर ) उस लड़ाई को अंजाम तक पहुचाने से पहले ही मंच से भाग खड़ा हो . वह कैसे है महात्मा ? जो इंसान युवाओं में जोश जगाये सभी मुद्दों से ध्यान हटाकर एक जन्लोक्पाल पर सभी को लटकाए और हर बार यह कहे की मै तीन तीन मंत्री का विकेट लिया , ये दूसरी आजादी की लड़ाई है , लेकिन जब जब जनता अपने वाली पर आर या पार के मूढ़ में आये तो वह डॉक्टर्स की सलाह मानकर अनशन तोड़ दे तो वह कैसा महात्मा कैसा फ़कीर ? कहने का मतलब यह है ये दूसरी आजादी की लड़ाई थी जैसा की अन्ना बार -बार कह रहे थे तो जाहिर सी बात है की इस आन्दोलन से देश की उम्मीदे जुडी थी . वह हर तबका जुड़ा था जिस पर आरोप लगते थे की यह देशभक्त नही है . फिर भी इतने बड़े आन्दोलन को अन्ना ने खुद को हीरो बनाने के चक्कर में केवल खुद तक ही सिमित रखा और रामलीला मैदान और मुंबई में अपनी सेहत के कारण बीच में ही छोड़ दिया .
तीनो बार जनता ने विशवास किया लेकिन अन्ना ने आन्दोलन नाम को ही देशभक्ति नाम को शर्मिन्दा कर के रख दिया एसे में अन्ना को देश को बर्बाद करने वाला महान संत कहा जाए तो गलत नही होगा . इस आन्दोलन को अन्ना और उनकी मडली सफल होने ही नही देना चाहती थी. इसी कर्म में टीम अन्ना और खुद अन्ना महान आत्मा पर सवाल उठते है जिनका जवाब अब मीडिया से भागने वाले और देश को धोखा देने वाले अन्ना को देना ही होगा या फिर बेदी ,सिसोदिया ,केजरीवाल को देना ही होगा .
१ लगभग चार बार अन्ना ने अनशन किया क्या वह खुद को एक महात्मा स्थपित करना चाहते थे ?
२ क्या इतने बड़े आन्दोलन जिससे की पूरा देश जुड़ चुका हो किसी एक व्यक्ति की तबियत खराब होने की वजह से उसे बीच में छोड़ना जायज है ?
३ क्या कोई आन्दोलन केवल अनशन पर टीक सकता है ?
४ क्या अन्ना की बाद मंच को उखाड़ना जरूरी था मेरा मतलब जिस प्रकार बाकि देश में हजारो लोग अनशन पर थे अपने -अपने गाव शहर …क्या उसी प्रकार केजरीवाल ,बेदी अनशन करके इस मुहीम को नही चला सकते थे ?
५ क्या अन्ना और उनकी टीम को पहले से ही मालूम नही था की अनशन में तबियत बिगड़ना संभावित सी बात है क्या इस तरह सेहत की नाम पर आन्दोलन को रद्द करना जायज था ?
Read Comments