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यह कल ही की तो बात है , कभी कभार आजाद होटल से कढ़ी खाने का मन हो जाता है लेकिन हर बार उसे यह बताना पड़ता है की भैया लहसन मत डालना लेकिन वह हर बार भूल जाता है और फट से लहसन से निर्मित मसाले की तरफ बढ़ने लगता है लेकिन मै तुरंत उसे रोक लेता हूँ , लेकिन कल उसने कढ़ी बनानाने वाली कड्ची डाल ही दी लहसन के मसाले में मैंने फिर से उसे रोका वह लगा बड़े ,लम्बे छोड़े भाषण देने …..बोला अमेरिका , इंग्लेंड ,में तो कोई वहम नही करता , फिर भी पैसा वहा है , आगे बोला यहाँ कभी मावस ,कभी कुछ कभी प्याज नही खाने कभी लहसन . बोला हवाई जहाज की खोज अमेरिका ने की , तोप गोले अमेरिका ने बनवाये . तभी मैंने झट से उससे पूछा की भाई कितने पढ़े -लिखे हो मैट्रिक . फिर मैंने कहा उससे की तुम्हारा कसूर नही है वो बोला क्या . मै बोला कुछ नही और फिर मै आगया . लेकिन एक बात मन में थी की भारत के लोग खुद को और अपने देश को इतना कमजोर क्यों समझने लगे है एक होटल वाले को यह तो पता है की अमेरिका इंग्लेंड ने हवाई जहाज की खोज की लेकिन उसे यह नही पता की सबसे पहले हवाई जहाज की खोज भारत ने की .आखिर यह मैकाले की शिक्षा ही तो है …….जो हमारे स्वाभिमान पर चोट करती है .
नोट : आज भी हम भारतीय यह मानते हैं कि 17 दिसंबर 1903 में राईट बंधुओं ने पहला विमान बना कर अमरीका के दक्षिण कैरोलीना के समुद्री तटों पर उड़ाया जो 120 फुट की ऊंचाई तक उड़ने के बाद नीचे गिर गया था| जबकि इससे आठ वर्ष पहले एक मराठी श्री शिवकर बापूजी तलपडे ने सन 1895 में मुंबई के चौपाटी के समुद्री तट पर एक विमान बना कर उड़ाया था जो 1400 फुट की ऊंचाई तक उड़ा और सुरक्षित नीचे उतार लिया गया| मज़े की बात इसमें कोई भी चालक नहीं था| इस महान वैज्ञानिक ने इसे ज़मीन से ही नियंत्रित कर उड़ाया था| उससे भी अधिक मज़े की बात यह है कि इसकी प्रेरणा उन्होंने महर्षि भारद्वाज के विमानशास्त्र से ली जो भारद्वाज मुनि कई हज़ार साल पहले लिख चुके हैं| बाद में अंग्रेजों ने झांसा देकर उनसे इस विमान का डिजाइन हथिया लिया| इस घटना के कुछ ही समय पश्चात श्री शिवकर बापूजी तलपडे की रहस्यमय तरीके से मौत हो गयी| किन्तु मैकॉले मानस पुत्र इस सच्चाई को आज तक हमारे पाठ्यक्रमों में शामिल नहीं कर पाए| जबकि आज तक राईट बंधुओं का गुणगान गाए जा रहे हैं|
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