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कल मै स्टार प्लस पर कोन बनेगा मुख्यमंत्री देख रहा था प्रोग्राम चल रहा था और निचे एक लाइन पर लिखा था यादव वोट इतना पर्तिशत ब्राह्मण इतना प्रतिशत दलित इतना प्रतिशत और अंत में मुस्लिम इतना पर्तिशत . मै समझ नही पा रहा था की मीडिया एक और तो जातिवाद को खत्म करने की वकालत करता है दूसरी और हिन्दुओ को बाट कर खबरों का हिस्सा बनाता है वही मुस्लिम वोटर को एक सूत्र में पिरो देता है . मेरे मन में सवाल उठने लगे आखिर मीडिया हिन्दुओ को बाट क्यों रहा है ? मीडिया चैनल्स खुद ही जातिवाद को बढ़ावा देने में लिप्त है भारतीय समाज को बाटने का कार्य तो मीडिया के बुद्धिजीवी लोग ही कर रहे है .क्या मीडिया वाले चुनावों में अपनी पट्टी जो की निचे सक्रीन पर होती है उसे कुछ इस प्रकार नही भर सकते की हिन्दू वोट इतने पर्तिशत और मुस्लिम वोट इतने पर्तिशत ?मेरे मन में सवाल बहुत थे जैसे – यह मीडिया क्या प्रचार कर रहा है क्या वह एसा प्रचार कर हिन्दुओ को कमजोर करना चाहता है ? क्या वह हिन्दुओ को एक नही होने देना चाहता ? क्या वह यही चाहता है की हिन्दू कभी जातिवाद से उपर उठकर मतदान न करे ? क्या वह एसा प्रचार इसलिए करता है की हिन्दूमें से कभी भी जातीय भावना खत्म न हो ? अभी कुछ दिन पहले की बात है जी न्यूज़ पर प्रसारित होने वाला बड़ी खबर के एंकर ‘ पुन्य परसुन्य वाजपयी ‘ जी के ब्लॉग पर एक लेख पढ़ा उसमे भी हिन्दुओ को बाटकर दिखाया गया और मुस्लिमो को एक तराजू के एक ही पाल्ड़े में . मुझे समझ नही आता की जो मीडिया के लोग खुद को बुद्धिजीव मानते है वह इस प्रकार की तुच्छ बाते कैसे कर सकते है ? क्या वह भी हिन्दुओ को बाटने का मीडिया का तरीका इस्तेमाल कर रहे है ? आखिर वह लोग किसके इशारे पर यह सब कर रहे है ?
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