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क्या sarvdharm का पाठ मुस्लिम bhul इलाको में पढाया जा saktaa है ?

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आजादी के समय भारत के दो टुकड़े हुए एक भारत और दुसरा पाकिस्तान मजहब के आधार पर बने पाकिस्तान में आजादी ( बटवारे ) के समय लगभग बीस पर्तिशत हिन्दू रहते थे जो आज घटकर मुश्किल से दो या तीन प्रतिशत है .वर्तमान में भी कितने ही हिन्दू -सिख भारत आ रहे है और सरकारों से भारतीय नागरिकता के लिए अपील कर रहे है कारण इस्लामिक कट्टरपंथियों का दबाव . आजादी (बटवारे ) के बाद बना पकिस्तान जो हमारे ही प्रान्तों ( सिंध ,पंजाब ,बलूचिस्तान )को मजहबी आधारों पर छिनकर बनाया गया वह तो ताल ठोककर खुद को इस्लामिक मुल्क घोषित करता रहा और वही भारत जोकि चोट खाने के बावजूद भी धर्मनिरपेक्षता की ढपली बजाता रहा . इसका परिणाम यह हुआ की काश्मीर से ब्राह्मण भगा दिए गये और केरला ,यूपी , बंगाल , महाराष्ट्रा में भी और देश के बाकी कोणों में भी इस्लाम का ध्र्मान्त्र्ण का खेल चलता रहा और ham dahrmnirpekshta , anekta में ekta का raag gate रहे में .जैसे तेजो महालय ( भगवान शिव का मंदिर ) को ताज महल बना दिया गया , जैसे itihaas में राम मंदिर को बाबरी masjid बना दिया गया और भी न जाने कितने हिन्दू मंदिरों को इस्लामिक रंग में रंग दिया गया ठीक वैसे ही आज भी हिन्दू मंदिरों में पूजा पाठ ,घंटे बजाना पर विवाद ,अमर नाथ यात्रा पर विवाद सामने आ रहे है और हिन्दुओ की धार्मिक आजादी को अपने ही देश में कुचलने का प्रयास हो रहा है . फिर भी धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी कहते है की हिन्दू – मुस्लिम भाई भाई लगातार hame सर्व धर्म का पाठ पढ़ाने में लगे है और vahi इस्लामिक कट्टरपंथी अपनी सभी हदे tyagte जा रहे है यहाँ तक की भारतीय कानूनों को भी ठेंगा दिखाया जा rahaa है . har समय हिन्दुओ को भाईवाद का पाठ पढ़ने वाले ye धर्मनिरपेक्ष buddhijivi क्या यही पाठ एक मुस्लिम इलाके में भी padhaa सकते है क्या मुस्लिमो को हिन्दुओ की तरह सहनशील बनाने की हिम्मत jutaa सकते .

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