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चुनाव आते ही नेता सडको पर गलियों में घरो में आ जाते है ,हाथ जोड़ते है ,रेलिया करते है मंचो पर चढ़कर लम्बे लम्बे भाषण देते है .कुछ नेता लोग विकास की बात करते है कुछ नेता लोग सुशासन की बात करते है रोजगार की बात करते है . लेकिन जब उनमे से जो नेता चुनाव जीत जाता है तब वह उम्मीदवार एम् पि , या एम् एल ऐ बन जाता है कोई मंत्री बन जाता है तो कोई सीएम बन जाता है . अब वही नेता जी जो मुझसे हाथ जोड़कर मिल रहे थे विकास की बात कर रहे थे , मुझे अपना भाई – बंधू बता रहे थे ,मेरे घर के दरवाजों को खटखटा रहे थे ,मुझसे वोट मांग रहे थे महंगी गाडियों में घूम रहे है अब वही नेता जी मुझसे नही मिल रहे है आज वो गाडी में है , सफ़ेद कुरते में है ,बढ़िया सुट -बुट और चेले – चमते साथ में रखते है हाथ हिला हिलाते है बिना कुछ बोले सुने चले जाते है ,जैसे मुझे चिड़ा रहे है और मै उनकी तरफ देख रहा हूँ शायद ये रुकेंगे मेरी समस्याओं को सुनेंगे लेकिन ये है की मेरी ओकात मुझे दिखा रहे है .मानो एसा कह रहे है की तुम ठहरे मतदाता और हम ठहरे लाल बत्ती वाले नेता हमारी तुम्हारी क्या है बराबरी . जो नेता हमसे हाथ जोड़कर सुशासन ,विकास के नाम पर वोट लेते है वह चुनाव जितने के बाद हमसे एक अजनबी की तरह व्यवहार करते है इसलिए मै सोच रहा हूँ की मै क्यों दू ऐसे नेताओं को वोट , मै क्यों दू किसी को खुला परमिट की तुम हमारे वोट लो और लूटो देश को , करो भ्रष्टाचार , करो खुद का और अपने परिवार का विकास ,हर बार चुनावी गंगा में कूदो कभी भावनाओं में मतदाता को बहला -फुसला कर तो कभी जाती के नाम पर ले जाओ हमारो वोट और घुमो गाडियों में ,पढाओ अपने बच्चो को विदेशो में , बनाओ महंगी कोठी -बंगले ,करो खुद का विकास बेशक देश भाड़ में जाए , लगाओ अपने बच्चो रिश्तेदारों को नोकरिया ,दिलाओ उन्हें ठेके , मै नही दूंगा वोट ऐसे लोगो को जो जनता के बीच में मात्र तभी आते है जब चुनाव आते है और फिर जितने की बाद नेता जी बन जाते है और केवल टीवी चैनल्स अखबारों में ही आते है . आखिर मेरे वोट की भी कुछ कीमत है जो कम से कम सिस्टम को सुधरने में न सही सिस्टम को बिगाड़ने में तो अपना योगदान नही देने का अधिकार रखता है .
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