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मोदी घेरो अभियान में अपना धर्म भुला मीडिया

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भारत वर्ष में दंगा कोई बड़ी बात नही है और न ही यह स्थिति किसी एक प्रान्त में पैदा हुई है हम यदि अधिक पीछे न भी जाए तो भी भारत में कई राज्य ऐसे है जहा हिन्दू मुस्लिम में दंगा हुआ है कई मंदिर टूटे है लोगो ने अपनी जाने गवाई है . उन्ही में से एक है गुजरात दंगा देश के इतिहास में शायद किसी भी दंगे का जिक्र इतना नही हुआ जितना की गुजरात के दंगो का हुआ है . गुजारत से बड़े दंगे जिनमे लोगो को भारी जान -माल का नुक्सान हुआ है उनके बारे में राष्ट्र शायद जानता भी नही है .कारण जिस तरह से मीडिया द्वारा गुजरात दंगे को एक फिल्म की तरह मिर्च -मसाला लगाकर प्रस्तुत किया जाता है और बार -बार दिखाया जाता है उससे आज की पीढ़ी को यही लगता है की शायद गुजरात जैसी हिंसा भारत में कही हुई नही है और यह काफी बर्बर था . मीडिया और तमाम धर्मनिरपेक्ष लोबी ने जिस तरह से मोदी को घेरने के चक्कर में पूरे भारत ही नही विश्व में भी जिस तरह से हिंदुत्व की छवि पेश करने की कोशिश की है उससे चर्च पोषित मीडिया और सेकुलर गैंग का एक लक्ष्य तो साफ़ -साफ़ समझ में आता है जिस हिंदुत्व की राजनीति आर एस एस ,विएच्पी , भाजपा का रहे है कही न कही यह उस राजनीति को कमजोर करने की साज़िश है और उसी हिंदुत्व की राजनीति का मोदी ने विकास की राजनीति की और मुख मोड़ा है कही न कही यह मोदी के उस दावे को भी कम करने की कोशिश है जिसमे देश की जनता उन्हें पीएम के पद पर देखना चाहती है कही न कही मोदी की बढती धमक को भी कमजोर करने की कोशिश है जो पहले हिन्दुत्त्व के रास्ते तो अब विकास के रास्ते सामने आ रही है .लेकिन यहाँ इस पूरे घमासान जद्दोजहद में भेद -भाव भी साफ़ नजर आता है वही भेद -भाव जो सदियों से इस देश के साथ होता आया है इसी भेद -भाव में अल्पसंख्यको के हजारो ऐसे पाप छुपा लिए जाते है जो यह साबित करने के लिए काफी है की यदि मोदी ने हिन्दुत्त्व की राजनीति की है तो सेकुलर पार्टियों ने भी मुस्लिम वोटो की फसल काटी है . यदि गुजरात में मुसलमान मरा है तो देश के बाकी राज्यों काश्मीर ,केरला ,गोवा , उत्तर प्रदेश , तमिलनाडु , आंध्रप्रदेश में हिन्दू भी दंगो में बहुत अधिक्क संख्या में मारे गये है , लेकिन धर्मनिरपेक्ष मण्डली के लिए गुजरात दंगा ही एक दंगा है चुकी इसमें रक्त हिन्दू का नही मुस्लिम का अधिक भा था . शायद यही एक बात तमाम नेताओं – सेकुलर , एनजीओ को परेशान करती है की मोदी जिस हिंदुत्व की राजनीति कर रहे है उसी राजनीति में वह अपना कुनबा बढ़ा रहे है उसी कुनबे में वह हिन्दू को एक वोट बैंक की तरह प्रयोग कर रहे है लेकिन इसमें भी मीडिया और सेकूलर लोगो को साम्प्रदायिकता की बू आती है यह अलग बात है की मुस्लिम तुष्टिकर की राजनीति साम्प्रदायिकता नही है . इस मोदी घेरो अभियान में वह इस बात को भूला जाते है रक्त हिन्दू का बहे या सिख का या फिर मुस्लिम का रक्त -रक्त होता है वह चाहे हिन्दुत्त्व की राजनीति के तहत भाजपा शासित राज्य में बहाया गया हो या फिर मुस्लिम तुष्टिकरं की राजनीति के तहत धर्मनिरपेक्ष सरकारों के राज्य में .जिस तरह से मोदी पर इलज़ाम लगता है दंगाईयो को छुट देने का उसी प्रकार मुस्लिम वोट बैंक के चलते धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने भी दंगाईयो को छुट दी है उन पर भी इसी तरह इलज़ाम लगना चाहिए . लेकिन मीडिया एक तरफा राग अलाप रहा है जिसमे उसे कट्टरपंथ सिर्फ हिन्दुओ में ही नजर आता है यह दोगला रवैया इस बात को भी दर्शाता है की मीडिया मोदी घेरो अभियान में अपना धर्म भूल गया है और वह इसी के चलते हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचारों को दबाता आ रहा है .

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