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नाकामियाब है हिन्दू संघठन

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देश की ८५ पर्तिशत आबादी हिन्दू है देश में हिन्दू संघठन भी है आर एस एस , बजरंग दल , हिन्दू वाहिनी , वीएचपी , शिव सेना और भाजपा जैसी पार्टिया . लेकिन इनके पास कोई एक कामयाबी नही है किसी एक विषय पर इन संघठनो ने अपने आपको विजयी साबित नही किया है १ गौ वध अब तक जारी है बुच्च्ड्खाने इस देश में चल रहे है गौ माता इस देश में भटक रही है , २ कशिमिरी पंडित अभी तक दर -दर भटक रहे है ३ धर्मपरिवर्तन का खेल लगातार इस देश में चल रहा है ४ हिंदी भाषा को अब तक राष्ट्रिय भाषा का दर्ज़ा प्राप्त नही है ५ हिन्दुओ में जातिवाद बढ़ रहा है लड़ाई झगड़े हो रहे है हिन्दू संघठित नही है ६ आज भी हिन्दू वोट है वोट बैंक नही ७ आज भी मंदिरों पर हमले होते है ८ सव्देशी शिक्षा इस देश में लागू नही हुई है न ही सव्देशी चिकत्सा . टोटल मिलाकर देखा जाये तो सभी हिन्दू संघठन फेलियर साबित हुए है चुकी हिन्दुओ के देश में हिन्दू संघठनो की चलती ही नही है . यह मन जा सकता है की इसके लिए हिन्दू खुद जिम्मेदार है लेकिन हिन्दू संघठन अधिक जिम्मेदार है चुकी जो लोग खुद को हिन्दुओ का ठेकेदार कहते है जो हिन्दू हित की बात करते है उनके पास कोई ख़ास उपलब्धी है नही जिस पर वह ताल थोक कर खुद को हिन्दुओ का मसीहा कह सके .
आखिर क्यों हिन्दू संघठनो की नही चलती …….देश की ८५ पर्तिशत आबादी होने के बावजूद हिन्दू संघठनो की मांगे हाशिये पर है तो इसकी सबसे बड़ी वजह हिन्दू संघठन खुद है चुकी इन संघठनो ने खुद को केवल एव्क पार्टी तक ही सिमित रखा है और बाकी पार्टियों से दुश्मनी बनाये रखी है जिसका कारण है की मयावती , मुलायम ,लालू , ममता बनर्जी , या वामपंथी सभी हिन्दुओ के वोट लेकर सत्ता में आते है और फिर हिन्दुओ को ठेंगा दिखाते है . इन हिन्दू संघठनो के बेईम्तेहा भाजपा प्रेम के कारण ही आज इस देश में हिन्दू हित की बात करना भी साम्प्रदायिक है . जिस तरह का प्रेम इन लोगो ने भाजपा के साथ दिखाया है वही प्रेम यदि ये कुछ और पार्टियों के साथ भी दिखाते तो आज देश में हिन्दुत्त्व की राजनीति करने वालो का घाटा न होता और बेहतरीन ढंग से हिन्दू हित की बात करना आसान हो सकती .
किसी एक मुद्दे को लेकर न चलना …मित्रो , सही माना जाए तो हिन्दू संघठनो का कोई एक लक्ष्य ही नही है यह सभी मुद्दों को एक साथ उठाते है जिसके कारण इनकी आवाज ही सशक्त नही है . बेहतर तो ये होता की यह पहले किसी एक मुद्दे पर हिन्दुओ को संघठित करते जैसे गौ हत्या पर प्रतिबंध का एक माहोल बनाते और देश के हिन्दुओ को जगाते फिर उसके बाद धर्मपरिवर्तन पर रोक जैसे सभी मुद्दों पर एक – एक कर वैचारिक जंग लड़ते लेकिन इनकी हफड़े – बाजी की वजह से आज हिन्दुओ की कोई एक मांग नही मानी जाती और निरंतर हिन्दू अपमानित होता रहता है , और हर दिन घटता रहता है .
काश ये भी सभी साधुओ को एक करते – मित्रो आज इस देश में न जाने कितने साधू ऐसे है जिनके साथ करोडो की भीड़ है उनके अनुयायी है जब की हिन्दू संघठन आज अपनी अंतिम सासे गिन रहे है इसकी सबसे बड़ी वजह हमारे साधुओ में पैसो की भूख हो सकती है या फिर इन हिन्दू संघठनो का साधुओ से एक होने की अपील न करना यानी ये भी एक कारण है की हिन्दू बटे हुए है .
नोट – मेरा किसी भी हिन्दू संघठन को अपमानित करने का लक्ष्य कदापि नही है लेकिन मेरा मानना है कोई भी समाज तब तक एक नही होता जब तक की उसके रहनुमा उसे -उसके इतिहास को न दिखाए जब तक कोई भी हिन्दू संघठन किसी एक मुद्दे पर एक होकर कोई आन्दोलन नही करेगा तब तक न तो हिन्दू में एकता होगी और न ही हिन्दू संघठनो के पास कोई ख़ास जनमत .

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