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भाजपा और कोंग्रेस एक हो

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मित्रो , हमारे देश में दो राष्ट्रीय पार्टी है भाजपा और कोंग्रेस , दोनों ने ही केंद्र में सरकारे बनाई है लेकिन जब -जब भी इनकी सरकारे बनी है तब – तब इन दोनों ही पार्टियों ने छोटी पार्टियों का साथ लेकर सरकार बनाई है जिसकी वजह से कई बार सरकार की गलत नीतियों का सारा आरोप गठबंधन की मजबूरी पर मढा जाता है यह बहुत हद्द तक जायज भी है . इस तरह की सरकारे समूचे राष्ट्र का विकास नही कर पाती चुकी जो इस सरकार का जितना बड़ा किंगमेकर होता है उसके प्रदेश और उसकी नीतियों को उतनी ज्यादा तवज्जो मिलती है जिसके कारण कई प्रदेश जिन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी को कोई किंगमेकर नही दिया वह न सिर्फ पिछड़ता है बल्कि उसकी आवाज भी नही सुनी जाती और कई बार किंगमेकर पार्टिया अपनी मनमानी केंद्र सरकार को समर्थन वापस लेने की धमकी देकर करती है जिसके कारण कई बार घोटाले या फिर राष्ट्र का अहित होता है ऐसे में कई बार एक सशक्त सरकार की जरूरत महसूस होती है . लेकिन हमारे देश में अभी कम से कम दो योजनाओं तक कोई भी राष्ट्रीय पार्टी सत्ता हासिल नही कर सकती पहला कारण जातिवाद और दुसरा कारण क्षेत्रवाद ये दोनों ही मामले ऐसे है जो राष्ट्रीय भावनाओं को न सिर्फ कमजोर करते है बल्कि क्षेत्रीय नेताओं और उनकी पार्टी को मजबूत भी करते है .
मित्रो , ऐसे हालात में , मै आडवाणी जी के उस विचार से सहमत हूँ जिसमे वह दोनों राष्ट्रिय पार्टियों को एक होकर सरकार बनाने का सुझाव देते है . इसके दो कारण है पहला क्षेत्रीय पार्टियों का कमजोर होना और दुसरा राष्ट्रीय हितो के फैसले लेने में सक्षम सरकार बनना . जहा भाजपा और कोंग्रेस के एक होने से छोटी पार्टियों यानी क्षेत्रियो पार्टियों का वर्चस्व कमजोर होगा वही ब्लैकमेलिंग का खेल भी खत्म होगा और एक मजबूत सरकार भारत में बन सकेगी जो किसी भी क्षेत्रीय किंगमेकर पार्टी के नेता की आगे नही झुकेगी और पूरी तरह फैसले लेने में सक्षम साबित होगी . ऐसी सत्ता पूर्ण रूप से भारत के हित में होगी चुकी जहा एक तरफ राष्ट्रीय मामलो की अनदेखी करना नामुनकिन होगा वही इसी फोर्मुले से देश का समग्र विकास भी होगा देश का .

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