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मित्रो , विवाद और टीम अन्ना का नाता तब से है जब से टीम अन्ना को पंख लगे है पंख से मतलब जब से टीम अन्ना को मिडिया में कवरेज मिली है या यु कहे तब से जब से बाबा रामदेव की चरण वंदना कर उन्ही के आन्दोलन को कमजोर कर अन्ना ने मिडिया के सहयोग से अपने जन्जोक्पाल सारी जन्लोक्पाल के आन्दोलन में भीड़ जुटाई है . लेकिन मुंबई में इसी जनता ने अन्ना और उनकी टीम को आइना दिखा दिया था इस आईने ने ही अन्ना को उनकी जमीनी हकीकत दिखाई तभी अन्ना उतावले हो उठे फिर से बाबा रामदेव को वंदन करने के लिए उसका परिणाम यह है की बाबा ने इन पर दया दिखाई और इनका साथ देने का मन बनाया . लेकिन हम बात कर रहे है सुर्खियों में बनी टीम अन्ना की चुकी इनका जो ढंग है सुर्खिया पाने का वह कतई जायज नही है बेशक से ये लोग जनता को तर्क देकर उसे अपने पक्ष में कर ले लेकिन सच तो यही है की टीम अन्ना आन्दोलन कम और भावनाए जयादा भड़काती है जब वह भावनाए भड़क जाती है देश की जनता में उबाल आता है तब यही टीम अन्ना अपने पाँव खीच लेती है टोटल मिलाकर देखा जाए तो टीम अन्ना हो या खुद अन्ना इनकी बातो और दावो में सच्चाई कम ही नजर आती है चुकी जिस तरह की भाषा का यह लोग इस्तेमाल करते है वह कही न कही देश को अस्थिरता की और धकेलने की कोशिश लगती है . ऐसी कोशिश जिसमे टीम अन्ना के आगे हमारा पूरा सिस्टम बेबस नजर आता है एसा लगता है मानो टीम अन्ना देश में क्रान्ति नही दंगा फसाद चाहती है तभी तो वह पांच राज्यों में प्रचार करने नही जाती है और न ही देश की यात्राए करने वाले अन्ना पांच महीने तक अस्पताल में राहते है और वह अचानक से तब आते है जब कोयला घोटाला , जनरल घुस कांड , कर्नाटक वक्फ का जमीनी भ्रष्टाचार सामने आता है यह ठीक व्ही स्थिति है जब शीला की लीला सामने आ रही थी कलमाड़ी के घोटाले आदर्श घोटाले मीडिया में थी तभी एंट्री हुई थी टीम अन्ना की और अब फिर से एक बार एंट्री हुई है उस आधी अधूरी लड़ाई लड़ने वाली टीम अन्ना की . यानी अब फिर से वही आधी – अधूरी लड़ाई लड़ने की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है लेकिन अब की बार जनता को टीम अन्ना से सावधान रहना होगा चुकी यह वही अन्ना और उनकी टीम है जिसने देशभक्ति के बनते माहोल को मात्र पन्द्रह दिन के अनशन से ठंडा कर दिया था .
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