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उत्तर प्रदेश के चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद भाजपा को जमीन से उतरने की जरूरत है और उपर से लेकर जमीनी नेताओं को पार्टी में लाने जगह देने की जरूरत है चुकी भाजपा का यूपी विधानसभा में तो भट्ठा बैठ ही गया है लेकिन भविष्य यानी २०१४ में भी भाजपा का इस तरह भठा न बैठे इसके लिए भाजपा में बदलाव जरुरी है . बदलाव सिर्फ प्यादों का ही नही बल्कि वजीरो का भी होना चाहिए जिसमे गडकरी ,राजनाथ सिंग जैसे लोग शामिल है और जिन्होंने भाजपा को न सिर्फ गर्त में धकेलने का काम किया है बल्कि कई ऐसे निर्णय भी लिए है की चाल चरित्र की दुहाई देने वाली पार्टी पर अब संदेह होने लगा है जैसे कुशवाहा को शामिल करना और उमा भारती को यूपी के लोगो पर थोपना वही उन लोगो की भी सफाई करनी होगी जिन्हें केवल आर एस एस का आशीर्वाद प्राप्त है न की जनता का और इसी वजह से वह हर बार पार्टी के उम्मीदवार बन जाते है लेकिन जनता में उनका कोई जनधार नही है या फिर जनता उनसे उब चुकी है . यदि वाकई भाजपा २०१४ में जितना चाहती है तो मै भारत का एक आम नागरिक होने के नाते भाजपा को कुछ सुझाव दे रहा हूँ .
१ अध्यक्ष पद पर किसी इमानदार युवा को बैठाया जाये या फिर किसी महिला को
२ पीएम पद का उम्मीदवार सपष्ट किया जाये
३ हिन्दुत्त्व भाजपा के लिए राजनैतिक मुद्दा है या फिर भावनात्मक यह सपष्ट किया जाए
४ आतंकवाद पर भाजपा की क्या राए है और यदि वह सत्ता में आती है तो पाकिस्तान जैसे देश को कैसे जवाब देगी सपष्ट किया जाए
५ काले धन पर भाजपा क्या कर सकती है और यदि वह इसे लाने में कामयाब होती है तो इसका वह कैसे उपयोग करेगी
६ क्या भाजपा देश से जातिवाद को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई पहल करेगी
७ आज चीन भारत के लिए एक बड़ी समस्या है आर्थिक रूप से भी और सुरक्षा की दृष्टि से भी किस प्रकार भाजपा की सरकार चीन से निपटेगी
८ आज भारत में विदेशी वस्तुओ का बोलबाला है जिसके भारत की अर्थवयवस्था पर न सिर्फ चोट हो रही है बल्कि सव्देशी रोजगार भी सिकूड रहा है ऐसे में भाजपा क्या करेगी ताकि भारतीय प्रोडक्ट न सिर्फ भारत में बीके बल्कि विदेशो में भी बिके और भारत के लोगो को रोजगार मिल सके और भारत की इकोनोमी मजबूत हो
९ यदि २०१४ में उसे बहुमत न मिले तो क्या वह मुलायम , माया , लालू का समर्थन लेगी अगर लेगी तो क्या इन धर्मनिरपेक्ष ताको के दबाव में राष्ट्रीय हितो की बलि देगी या फिर राष्ट्रहित सर्व्परी मानेगी
मै समझता हूँ यदि भाजपा इन सभी मुद्दों पर अपना रुख सपष्ट करे और बेहतर नेताओं को पार्टी में जगह दे और जमीन से वापस जुड़े जैसा कभी यह राम मंदिर आन्दोलन के समय जुडी थी तो फिर से यह पार्टी सत्ता में आ सकती है लेकिन इसके लिए इस पार्टी को नरेंद्र मोदी या फिर आडवाणी जैसे नेताओं को रणभूमि में उतारना होगा और देशहित के मुद्दों को जनता तक पहुचना होगा साथ ही साथ क्षेत्रीय भावनाओं विकास के मुद्दों पर भी अपनी पकड बनानी होगी .
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