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अन्ना को अचानक भगवा प्रेम क्यों

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श्री श्री अन्ना हजारे साहब पर ऊँगली उठाना मेरा सवभाव नही और न ही मेरी इतनी ओकात है लेकिन उनके कृत्यों पर ऊँगली उठाना मेरा फ़र्ज़ है चुकी उनके लक्ष्ण जो उनमे और उनकी टीम में पाए जाते है यदि वह देशवासियों से छुपाये जाए तो यह देश से नाइंसाफी होगी . तो मित्रो आज हम बात करते है अन्ना में पाए जाने वाले लक्षणों की और उनमे आये बदलावों की . चुकी कल तक यही अन्ना हजारे साहब भगवा से नफरत करते थे और कहते थे की यदि बाबा उनके मंच पर आये तो वह उन्हें निचे बैठा देंगे लेकिन अब वही अन्ना बाबा से गले मिल रहे है नजाने कैसे भगवे के लिए प्रेम उमड़ा है ? अब दुसरे लक्ष्ण की बात करते है इन साहब ने कभी भी उत्तर भारतीयों पर हमलो का विरोध किया न ही अनशन किया लेकिन इन्हें अपने आन्दोलन में उत्तर भारतीयों की भीड़ चाहिए ? अब बात करते है तीसरे लक्ष्ण की कल तक यही टीम अन्ना और खुद अन्ना शरद यादव को मंचासीन कर रहे थी आज वही टीम अन्ना चोर की ढाढ़ी में तिनका …..जैसे शब्द प्रयोग कर रही है ? क्या यह हताशा नही है ? क्या यह इस बात की पुष्टि नही करता की अन्ना और उनकी टीम हर हालत में वही लोकप्रयता पानी चाहती है जो एक बार उसके हाथ से छुट चुकी है ? क्या यह एक फ़कीर महात्मा आदमी के गुण है ? देखिये जनाब अन्ना का एक और लक्ष्ण जो सिर्फ अन्ना में ही आपको मिलेगा यही अन्ना साहब थे जो कह रहे थे की हम जेल भर देंगे ये उससे पीछे हटे इन्होने कोई जेल नही भरी ये भी ख़ास एक बदलाव है जो इन्ही में पाया गया ? ये ही अन्ना साहब थे कह रहे थे की हां पूरे देश की यात्रा करेंगे लेकिन इन्होने कोई यात्रा नही की ? तो मित्रो यही सवाल मेरे मन को बार – बार कुरेद रहा है की मै कैसे कर लू यकीन की अन्ना हो गये है भगवा प्रेमी ? चलो भगवा प्रेमी नही तो राष्ट्र भक्त ही सही ? चुकी न तो इनकी बातो में दम नजर आता है जब से हम जैसे लोग इन्हें जान रहे है देख रहे है और न ही इनके दावो में चुकी ये टीम हर समय बदलती टीम है खुद अपनी बातो से अपने बयानों से . जो समय के अनुसार चलती है अपने नफे नुक्सान को देखती है जब मुसलमानों का समर्थन न मिले तो यही टीम बाबा का समर्थन लेने दोड़ी – दोड़ी जाती है और जब बाबा या संघ का इन्हें समर्थन मिले तो बार -बार चिल्लाती है संघ का हमारा कोई लेना देना नही है .

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