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मित्रो , अन्ना के अनशनो से एक बात तो तय हो चुकी है की अन्ना निर्णायक जंग नही लड़ना कहते या फिर यु कहे की कुछ लोग है उनकी टीम में जो निर्णायक स्थिति तक आन्दोलन को लाना ही नही चाहते . कुछ लोगो का मन्ना है की अन्ना एक साधू व्यक्ति है यहाँ तक की सुब्रमन्यम स्वामी का भी लेकिन सुब्रमन्यम जी का यह भी मानना है की अन्ना के आसपास जो उनकी टीम के लोग है वह ठीक नही है मेरा भी मानना यही है चुकी इसे लोग केवल सुर्खियों में आने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे है और भारत में कई तरह के एनजीओ चला रहे है . यदि वाकई अन्ना हजारे साधू है और इस देश का भला चाहते है तो उन्हें लोकप्रियता की भूख से उपर उठकार राष्ट्रहित सर्वोपरि समझ कर बाबा रामदेव का साथ देना चाहिए और इतना ही नही अपनी टीम को भंग कर देना चाहिए जिससे राष्ट्र का अहित होने से बच सके और बाबा रामदेव और अन्ना एक होकर लड़ाई लड़ सके काले धन के खिलाफ और भ्रष्ट वयवस्था के खिलाफ . मेरा मानना है अन्ना या रामदेव तब तक कोई भी नरनायक स्थिति तक नही पहुच सकते जब तक उनकी टीम में लोभी किस्म के और असभ्य किस्म के लोग रहेंगे चुकी ऐसे लोग आन्दोलन को अपने हिसाब से चलाते है और अपने हिसाब से ही बंद कर देते है जो देश की जनता के साथ कुठारघात होता है जैसा की पहले के अनशनो में टीम अन्ना और खुद अन्ना करते आये है आन्दोलन को बीच में ही छोड़कर और जीत का डंका पीटकर .
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