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मित्रो सभी को मेरी नमस्कार ,
आज हम देश में बढ़ रही मुस्लिम आबादी की बात करने जा रहे है चुकी यह आबादी काफी तेज़ी से हमारे देश में बढ़ रही चाहे वह मुसलमानों के अधिक बच्चे पैदा करने की वजह से या फिर देश में चलाए जा रहे धर्मान्त्र्ण की वजह से या फिर सस्ती वोट बैंक की राजनीति की वजह से जिसकी वजह से मुलमानो को ख़ास सुविधाए मिलती है जिनके कारण गैर मुस्लिम मुसलमान बनकर खुश रहता है . इतिहास गवाह है जब -जब इस देश में मुस्लिम आबादी बढ़ी है तब -तब उस क्षेत्र में अलगावाद की स्थिति उत्पन्न हुई है उदाहरन के तोर पर जम्मू काश्मीर की वर्तमान स्थिति हमारे सामने है वही इतिहास में देश का विभाजन . लेकिन फिर भी हमारे देश के राजनीतिग्य इन हालातो से सबक न लेकर देश को गुमराह किये हुए है और कुछेक धर्मनिरपेक्ष लोग वर्तमान हालात से मुह मोड़कर या देश में चल रहे विदेशी षड्यन्त्रो के तहत हिन्दुओ को हिन्दू -मुस्लिम भाई -भाई की ड्रोप्स पिलाकार अपनी लच्छेदार बातो से देश की बहुसंख्यक आबादी को लगातार सुलाने की कोशिशो में लगे है जिसका नतीज़ा काश्मीर से हिन्दुओ के सफाए के बावजूद भी किसी गाव या शहर में केवल एक मोलवी हिन्दू बहुल गाव -शहर में धर्मान्त्र्ण के बल पर अछि -खासी मुस्लिम आबादी खड़ी कर लेता है लेकिन जब वही आबादी हिन्दुओ की आबादी के मुकाबले आधी भी हो जाती है तो दोनों समुदायों के बीच दंगो जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है और जब यह साठ पर्तिष्ट तक पहुच जाती है तो उस क्षेत्र से हिन्दुओ का पलायन शुरू होने लगता है , धार्मिक कर्मकाण्डो पर पाबंदी लगने लगती है और धीरे -धीरे हिन्दुओ के अधिकारों का हनन होने लगता है ऐसी जगहों से या तो हिन्दुओ को वह जगह छोडनी पड़ती है या फिर इस्लाम सविकारने को बाध्य होना पड़ता है . लेकिन सवाल उठता है की ऐसे हालत हमारे देश में कब तक बने रहेंगे क्या हमारे सभी राजनैतिक दलों और उन तमाम बुद्धिजीवियों को इन हालत से निपटने के लिए कोई हल नही ढूंढना चाहिए जो हर समय हिन्दुत्त्व को गरियाते है ?चुकी इन हालातो से भारत फिर से विभाजन की तरफ जा रहा है चुकी धर्मपरिवर्तन या फिर मुसलमानों के अधिक बच्चे पैदा करने से देश की जनसख्या बढ़ रही है और देश की आर्थिक हालत बिगड़ रही है और बाकी समुदायों की धार्मिक आजादी कई – कई क्षेत्रो में छीनती जा रही है . मित्रो एक सवाल और है जो इन बुद्धिजीवी विशेषकर धर्मनिरपेक्ष लोगो के लिए है यदि भारत जैसा देश जो की हिन्दू बहुल है लेकिन जिस तेज़ी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है यदि यही आबादी बहुमत में आ जाए तो क्या इन धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी लोगो की अभ्व्यक्ति की आजादी सवतन्त्र रहेगी या फिर इन धर्मनिरपेक्ष लोगो की धर्मनिरपेक्षता सुरक्षित रहेगी या फिर भारत का हाल भी स्वीडन जैसा होगा जहा अभ्व्यक्ति की आजादी का गला घोट दिया जाता है ? हो सकता है यह सब बाते मेरी कल्पना लगे लेकिन रूस जैसे देश का क्या हाल हुआ यह सभी के सामने है इसलिए अब हमारे भारत के राजनातिक दलों को सबक लेने की जरूरत है ताकि भारत में बढ़ रही मुस्लिम आबादी का कोई हल खोजा जा सके जिससे भारत अखंडता बरकार रहे .
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