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मित्रो , हमारे देश में राजनैतिक दलों को जिस व्यक्ति को सम्मान देने या भाव देने में फायदा दिखता है वह उसे सम्मान देते है बड़े -बड़े पूरूस्कारो से नवाजते है अब देखिये जरा सचिन तेंदुलकर को सम्मान देने के लिए कभी लोकसभा में मांगे उठती है तो कभी महाराष्ट्र विधानसभा में . ये वाही सचिन तेंदुलकर है जिन्होंने एक शतक के लिए अपने दर्शको को लम्बा इंतज़ार कराया वही सचिन तेंदुलकर जो संन्यास की उम्र में भी कह रहे है अभी और खेलूंगा चलिए ये उनका निजी मामला मान लेते है . लेकिन सवाल ये उठता है की हमारे सांसदों और विधायको मंत्रियो और मीडिया वर्ग के लोगो को सचिन की इतनी चिंता क्यों है क्या देश के लिए करिकेट या सचिन ही सब कुछ है ? जितनी कवरेज मीडिया सचिन को दे रहा है और विधायक – सांसद सचिन को भारत रत्न देने की मांग को लेकर चिंतित है क्या उतनी ही चिंता लोकतंत्र के चोथे सतम्भ कहे जाने वाले मीडिया और चुने हुए सांसदों की देश के लिए देश की सुरक्षा के लिए और देश के आम आदमी के लिए नही होनी चाहिए जिस देश की ७० पर्तिष्ट आबादी बीस रुपे में गुजरा करती है उस देश में करोडो कमाने वाले खिलाड़ी पर ही फॉक्स देना क्या इतना जरुरी है जिस देश के पास गोला -बारूद नही है लड़ाई लड़ने के लिए उस देश का मीडिया आई पीएल का जश्न दिखा रहा है सचिन के शतक का इंतज़ार कर रहा है . क्या सचिन को भारत रत्न से नवाजने के बाद इस देश के बेरोजगार युवको को रोजगार मिलेगा ? क्या सचिन को भारत रत्न देने के बाद भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा मजबूत होगी ? क्या करोडो भूखे लोगो के पेट में दो टाइम का खाना पहुचेगा ? नही न फिर किसलिए सचिन को भारत रत्न देने के मुद्दे पर कभी प्रस्ताव पारित हो रहे है तो कभी संसद से मांगे उठ रही है क्या यह देश की उस जनता से धोखा नही है जो जनता सांसदों और एमेले को चुन कर भेजती है इस विशवास के साथ की आम आदमी की आवाज संसद में उठाई जायेगी ?
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