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क्या वाकई दैवीय शक्ति है निर्मल ………….बाबा

ajad log
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यह भारत है यु कहे की चमत्कार यहाँ कोई बड़ी बात नही तो यह बिलकूल सोलह आने सच होगा चुकी यह वही धरती है जहा पत्थर पानी में केवल इसलिए तैरे चुकी उन प़र राम शब्द लिखा था और आज भी तैर रहे है कई उदाहरण मिलते है ऐसे की भारत में चमत्कार होते रहते है चुकी इस धरती पर विवेकानंद जैसे महान लोग हुए है जो अमेरिका में अपना लोहा मनवाते है………. यु कहे की यह वही देश है जिस देश में गंगा बहती है और इसके जल में सालो तक कीड़े नही पड़ते तो यह भी चमत्कार लगता है लेकिन यह सब प्रमाणित है ………..
इस चमत्कारित दुनिया में कुछ मेरे साथ भी घटित हुआ है …….उसे आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ ……… बात कुछ दिनों पहले की है मै एक होटल में बैठा खाना खा रहा था इस दुनिया में हर आदमी परेशान है वैसे ही मै भी परेशान था……. तभी वहा एक बाबा जी आये और उन्होंने मेरे पास बैठकर कुछ एसा बताया जो मेरे जीवन में घटित हुआ था शायद इसे मेरे सिवाय कोई नही जानता था यह आश्चर्यजनक था किन्तु सत्य ……. और इतना कहकर वह चल दिए उनकी बातो को सुनकर मै सोच रहा था ये सब इन्हें कैसे मालूम ?……दरअसल ऐसी घटनाएं होती रहती है ….तब और जब -तब मुझे और आप जैसे लोगो को यकीन करना पड़ता है की कुछ तो है हमारे देश में या कहे की कोई दैवीय शक्ति जिसे हम और आप जैसे लो शायद चमत्कार कहते है …………. मै उन्हें खाना खिलाना चाहता था लेकिन वह चाय पीते ही चले गये शायद वह मुझसे पैसे भी नही लेना चाहते थे ………. हमारे देश में ऐसी घटनाएं अक्सर घटती है … हर दिन कुछ चमत्कार होता है . कुछ दिनों से टेलीविजन पर जब निर्मल “बाबा ” का प्रोग्राम देख रहा हूँ तब भी एक पल के लिए लगता है ये हजारो आदमी झूठे तो नही हो सकते सोचता हूँ बाबा इन सब को तो जानते भी नही फिर भी इनको बता रहे है और लोग हां में हां मिला रहे है ….. लेकिन जब निर्मल दरबार में शाही कुर्सी पर बैठे निर्मल सिंह नरूला को देखता हूँ तब मन में कोई शंका जन्म लेती है …….शायद कुछ ऐसी की मै मानने लगता हूँ निर्मल ” बाबा ” भोतिक सुख सुविधाओं में खोये है ………लेकिन तभी एक मन करता है की अपनी समस्याओं का समाधान पूछने बाबा के पास मई भी जाऊ शायद अपनी परेशानी का हल हो इनके पास…….. लेकिन तब कही से पता लगता है की समागम में खाली एंट्री फीस ही २००० रुपया है इतना रुपया तो हर आदमी जो परेशान है किसी वजह से खर्च कर ही सकता है सो मै भी राजी हो जाता हूँ लेकिन मेरे अनुभव कहते है की जो इंसान पत्रा देखते समय दक्षिणा की मांग करता है और वह भी मुह मांगी या फिर कोई भी इंसान जो खुद को दैवीय शक्ति कहता है ……तो समझो वह मोह माया के चक्कर में पद जाता है यदि वह मोह माया के चक्कर में पड़ जाता है ……….तब उसका मकसद रुपया कमाना हो जाता है और वह उस ध्यान से भटककर………. जहा उसे किसी तरह का कोई सन्देश मिलता है या फिर कोई संकेत मिलता है ……….मछली की आँख की तरह कमाई और भोतिक संसाधन जोड़ने में चला जाता है . तब नजाने मै हर बार क्यों सोचने लगता हूँ क्या वाकई दैवीय शक्ति है निर्मल बाबा ? या फिर……. एक एसा इंसान जो पैसे कमाने के लिए दुखी इंसान जो अपने जीवन में परेशान है मात्र उनकी दिल्ली या मुंबई के समागमो में बुलवाकर जुती तुडवा रहा है उन्हें और अधिक आर्थिक परेशनियो में दाल रहा है मै समझता हूँ इन सवालों के जवाब बाबा को खुद देने होंगे या हमें खोजने होंगे क्यों की दुखियो और गरीबो की हालात को और दयनीय तो नही बना रहा निर्मल दरबार यह समझने की जरुरत है …………चुकी दिल्ली की कैलाश कोलोनी में रहने वाले निर्मल सिंह नरूला कैसे लाखो लोगो के दुःख दर्द दूर कर रहे है या कहा से उन्हें यह शक्ति प्राप्त हुई क्या उन्होंने कोई तपस्या साधना की ? यदि एसा है तो वह बम या आतंकी हमला होने से पहले ही क्यों नही बताते की यहाँ आतंकी हमला होगा मै सम्झ्त्ता हूँ उन्हें यह सब साफ़ करने की जरूरत है

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