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5 , 10 , 20, 50 , 100 , 500 , 1000 , भारत वर्ष में जितने भी नोटों की छपाई की जाती है उन सभी पर राष्ट्रपिता ? महात्मा गांधी जी का फोटो ही छापा जाता है ! ……………………….
भारत वर्ष को कितने ही वीर – वीरांगनाओ ने अपने रक्त से सीच कर आजाद कराया है परन्तु आज उन सभी का नाम लेवा कोई नही बचा है ! सुभाष , भगत सिंह , वीर सावरकर , मदन लाल धींगडा , राजगुरु , सुखदेव , लक्ष्मी बाई नाजाने कितने वीर वीरांगनाओ ने अपना बलिदान मात्र राष्ट्र की आजादी के लिए दिया है ! लेकिन अब तक उनके बलिदान राष्ट्रभक्ति का कोई भी उचित मान सम्मान उन्हें या उनके परिवारों को नही मिला है ! जहा भगत सिंह , उधम सिंह का परिवार मजदूरी करके अपना पेट पाल रहा है वही मदन लाल धींगडा का घर खंडहर बन चुका है जिसकी और सरकार ध्यान नही देती ! कुछ एसा ही हाल है पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के घर का और मंगल पाण्डेय के परिवार का ! लेकिन शांति अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गाँधी को नोटों से लेकर सडक के चोक – चोराहो पर छापा और लगाया जा रहा है ! भगत सिंह की फ़ासी रुकवाने में असफल गांधी को आज राष्ट्रिता का नाम दिया जा रहा है ! सरदार पटेल की जगह नहरू को देश पर थोपने वाले गांधी को आज देश की विचारधारा पर थोपा जा रहा है ! सवाल उठता है क्या सम्पूर्ण आजादी के सूत्रधार गांधी जी थे ? क्या अंग्रेजो ने भारत को केवल गांधीवाद से प्रभावित होकर आजाद किया था ? यदि शहीदों के साथ हो रहे भेदभाव और सरकार के रवैये को देखे तो एसा ही लगता है ! जिस तरह षड्यंत्र के तहत भारतवर्ष के लोगो के दिलो -दिमाघ से शहीदों की शहादत का हर सबूत मिटाने की कोशिश हो रही है वही सम्पूर्ण राष्ट्र पर गांधी जी की शांति -अहिंसा को बढ़ा चढा कर पेश किया जा रहा है ! वह कही न कही भारतवर्ष के लोगो को कायरता की और ले जा रहा है ! जिसका खामियाजा राष्ट्र को समय – समय पर भुगतना पड़ा है ! अत्यंत शांति शील – गांधीवादी होता ये देश अपने ही देश में इस्लामिक कट्टरपन्थियो और मओवादियो की गोलियों का शिकार बनता जा रहा है ! झूठी धर्मनिरपेक्षता का लोआबा ओढ़े राजनैतिक दलों ने देश के युवाओं ऐसे गांधीवाद में फास कर रख दिया है देश के युवा भी बापू के तीन बंदर बन कर रह गये है ! जो बुरा देखना नही चाहते , बुरा सुनना नही चाहते और बुरा बोलना नही चाहते !
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