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क्या वाकई हमारा हिन्दू समाज महान है ?

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जिस देश में सकडो करोड़ रुपया प्रतिवर्ष त्रिपूति बाला जी मंदिर में चढ़ावे के रूप में आता है , जिस देश में साईं बाबा के मंदिर में प्रतिवर्ष २०० करोड़ का चढ़ाव आता है वह देश गरीब क्यों अर्थात उस देश में गरीबी क्यों अर्थात उस समाज में गरीबी क्यों ? उसी देश में अर्थात उसी समाज के करोडो लोग बेघर क्यों ? उस ही देश में अर्थात उसी bahusankhyak समाज के लोग सडको पर लोग भीख क्यों मांग रहे है ? उसी देश में मात्र दस बीस हजार रूपए के लिए या फिर भरपेट खाने के लिए लोग अपना धर्म क्यों बदल रहे है ? उसी देश में लोग इलाज के लिए पैसे न होने की वजह से दम क्यों तोड़ देते है ? मित्रो ये सभी सवाल तीखे जरुर हो सकते है लेकिन सत्य है ! इन सभी बातो के लिए हो सकता है की हमारी सरकार जिम्मेदार है लेकिन उतना ही जिम्मेदार है हमारा समाज ! सोचिये की हमारा पडोसी जो वर्षो से हमारे साथ रह रहा है उसे कोई बिमारी हो जाए और उसके पास पैसे नही हो तो क्या हम उसकी मदद करते है ? नही न ……… लेकिन जब उसकी बीमारी हद्द से अधिक बढ़ जाए और उसकी मृत्यु हो जाए तो सभी पहुच जाते है उसके परिवार को सात्वना देने ! लेकिन जब उसका तेरहव होता है तब उसके परिवार के पास कोई नजर नही आता ! वही जब उसके परिवार को कोई छोटी – मोती सहायता चाहिए होती है तब भी कोई आगे नही आता ! उसके बच्चे बेशक भूख से बिलखते रहे या फिर स्कूल में दाखिला लेने के लिए उनके पास पैसो की कमी हो तब भी हमारे समाज का कोई व्यक्ति उनकी मदद को आगे नही आता !
हमारे समाज में कई ऐसे परिवार है जिनके पास रहने के लिए एक घर तक नही है उनकी लडकिया बड़ी – बड़ी होती है लेकिन तब भी हमारे समाज का कोई व्यक्ति संघठन या फिर कोई गुरू उनके सर पर एक छत डालने की भी जिम्मेदारी नही लेता ! यहाँ इंसान कितनी ही बुरी स्थिति में धसा रहे कोई भी किसी का नही है खासतोर पर जब इंसान का बुरा दोर शुरू होता है ! मित्र तो मित्र उसका साथ रिश्ते भी छोड़ देते है !
वही हमारे समाज में ऐसे पखन्डियो की कोई कमी नही है जो श्री श्री , आसाराम , या धन -धन सतगुरु के प्रवचनों को सुनने के लिए हजारो खर्च कर देते है ! फिर भी किसी भी गुरु ने समाज को सुधरने के लिए क्या सन्देश दिया है और उन संदेशो को भारत के जनमानस ने कितना अपने जीवन में उतरा है यह इस बात से समझा जा सकता है की इंसानियत कही गुम सी हो गयी है ! रिश्ते खोखले हो गये है दोस्त झूठे हो गये है ! गुरुओ बाबाओ का साम्राज्य बड़ा हो रहा है लेकिन उसी समाज का आम आदमी दो रोटी को भी तरस रहा है !

कभी मित्रता के लिए सुदामा और कृष्ण का उदाहरन हुआ करता था लेकिन अब सुदामा बन कर पीठ में छुरा घोपने का काम भी मित्र ही करता है ! बुरे दोर में मित्र ही साथ छोड़ देता है !

लेकिन फिर भी हम कह रहे है की हमारा हिन्दू समाज महान है ! लेकिन कैसे ? इसका जवाब किसी के पास नही है ! क्या साईं के मंदिर में बीस लाख का मुकुट भेट करके ? या फिर बाबाओ की जेबे भरके ? या फिर सचिन के शतक लगा देने भर से ? या फिर जूलिया राबर्ट्स के हिन्दू धर्म में आने भर से ? या फिर वीर शिवा जी गुरु गोबिंद सिंह, तेग बहादूर , भगत सिंह जैसे महान सहीदो की शहादत से ?

मित्रो सच तो यह है की हमारे देश का इतिहास महान है और हिन्दू जाती ने ही इस इतिहास को रचा है ! लेकिन आज हमारा समाज ऐसी स्थिति में पहुच चुका है जिसे आने वाली पिधिया महान नही बता सकती ! नानक , भगवान राम , भगत सिंह , गुरु गोबिंद सिंह तेग बहादूर का नाम लेकर हमारी जो छाती चोडी होती है हमरी अपनी ही आने वाली पीढ़ी के सामने हमारा अपना कोई इतिहास नही होगा ! जिससे की वह भी कह सके हम गर्व से कहते है हम हिन्दू है !

बदलना होगा ऐसी वयवस्था को = मित्रो अब समय आ गया है की हम अपने भविष्य को बेहतर बनाये ताकि आने वाली पीढ़िया हिन्दू होने पर गर्व करती रहे ! जिसकी शुरुआत हर आदमी को अपने स्तर पर करने से होगी ! जिसके अंतगर्त गरीबी , भूख , जातिवाद , अशिक्षा , अन्धिविश्वास , उंच – नीच को समाज से मिटाने का संकल्प लिया जाये ! जिस तरह से महाराज अग्रसेन जी ने एक रुपया एक ईट का अभियान चलाकर अपनी प्रजा के लिए आशियाना बनवा कर दिया था ठीक उसी प्रकार हिन्दुओ को अपनी कोलोनी अपने गाव , शहरो में संघठन खड़े करने चाहिए ! जिससे की हर आम आदमी हो या ख़ास सभी को चंदा देने की अपील की जाए और उसी चंदे से हमारे पडोसी या फिर हमारे समाज के गरीब लोगो को उपर उठाने के लिए जिनके पास घर नही उन्हें घर बनवा कर दिया जाये और जिनके पास अपने बच्चो को शिक्षा के लिए पैसे नही है उन्ही अच्छी शिक्षा का का इन्तेजाम किया जाए ! वही जिस तरह से समाज से संस्कारों का पतन हो रहा है उसके लिए भारतीय संस्कृति का प्रचार – प्रसार किया जाए अंग्रेजी के साथ साथ संस्कृत का गयान भी बच्चो को दिलाया जाए !

बदलनी होगी जातीय वयवस्था = मित्रो आज हमारे देश में जितने भी धर्मपरिवर्तन या फिर आपसी टकराव की स्थितिया पैदा होती है उसका मूल कारण जातिवाद है ! दूरभ्ग्या से जातिवाद हमारे समाज की ऐसी सच्चाई हो गया है जो खत्म होने का नाम नही ले रही और न ही इसे खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है ! आज हम जिस जातिवाद व्यवस्था में जी रहे है वह हमारे लिए जन्म से सर्टिफिकेट देने का काम करती है यानी भारद्वाज , शर्मा के घर जन्म लो और सम्पूर्ण जीवन ब्राह्मण बनकर गुजारो बेशक कर्म शुद्रो जैसे हो ! तो मित्रो सबसे पहले तो हम सभी को ऐसी वयवस्था को बदलना होगा इंसान की जाती वही हो जैसे उसके कर्म हो ! यानी शुद्र भी एक ब्राह्मण का जीवन जी सके यदि उसके कर्म ब्राह्मण जैसे हो ! यह ठीक है की एसा मुश्किल है लेकिन असम्भव नही ! बशर्ते इस पर सार्थक पहल हो !
यकीन मानिये यदि हिन्दू संघठित होकर कोई भी कार्य करेंगे तो इतिहास हिन्दुओ की फिर से महान गाथा लिखेगा ! जिसे युगों – युगों तक समाज के सभी तबके एक मिसाल समझेंगे !

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