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पहले कोंग्रेस विरोध , हिसार विरोध फिर मोदी की तारीफ और फिर आडवाणी की रथयात्रा को बेमानी अन्ना द्वारा बताया जाना ! आखिर ये सब बाते क्या इशारे कर रही है ( दाल में कुछ तो काला है या पूरी दाल काली है ) ! कोंग्रेस का विरोध कर जहा टीम अन्ना ने बाबा रामदेव के काले धन के मुद्दे की हवा निकाली आन्दोलन को कमजोर किया वही अमेरिका जैसे पश्चमी देशो को भी राहत की साँस दी वही जो देश में कोंग्रेस के खिलाफ माहोल खुद – बाखुद बन रहा था उसका क्रेडिट पाने में टीम अन्ना सफल हुई और खुद को भ्रष्टाचार विरोधी साबित किया !फिर मोदी की तारीफ = एसा करके जहा अन्ना और उनकी टीम ने खुद को बहुसंख्यक आबादी से जोड़ना चाहा वही उस आबादी को रिझाने की भी कोशिश की ! उसके बाद टीम अन्ना के सदस्य चल पड़े हिसार विरोध पर जहा उन्होंने हारी हुई कोंग्रेस का विरोध कर खुद की राजनैतिक जमीन बनानी चाहि लेकिन हिसार में उनकी किरकरी हुई ! फिर आडवानी की रथयात्रा का विरोध कर अन्ना ने खुद के भय को प्रदर्शित किया कही यह लड़ाई राजनैतिक न हो जाए कही काले धन या भ्रष्टाचार से लड़ने का क्रेडिट जनता आडवाणी या भाजपा को न दे -दे ! यदि हम अन्ना और उनकी टीम के कार्यकलापो को गोर से देखे तो साफ़ पता लगता है की टीम अन्ना का भ्रष्टचार से लड़ने का कोई इरादा नही है बल्कि उस आवाज को उठाना है जिसे भाजपा सडक पर तो बाबा रामदेव गाव -गाव उठा रहे है ! जो आवाज सालो से दबी हुई थी उस आवाज को बाबा और भाजपा संघ ने उठाया है लेकिन टीम अन्ना उन्ही की खिची हुई लकीर पर चलकर खुद को बाबा और भाजपा से बेहतर साबित करने में लगी है इस कार्य में उसे मीडिया का भारी सहयोग प्राप्त है ! कारण स्पष्ट है चुनाव २०१४ ! आज पूरा विश्व इस बात से परिचित है की विश्व शक्ति अमेरिका किसी भी देश में अपनी मोजुदगी कायम रखना चाहता है एसा ही वह भारत में चाहता है ! लेकिन अब हालत बदल गये है अब भारत अंगड़ाई ले रहा है भ्रष्ट वयवस्था को मिलकर खत्म कर देना चाहता है यही डर है अमेरिका को ! यकीन मानिए देश की सोच में परिवर्तन आता है तो देश में भाजपा जैसे राष्ट्रीय हितेषी दल सत्ता में लोट सकते है जिनकी विचारधारा संघ से मेल खाती है ! यही सब तो अमेरिका नही चाहता ! चुकी ऐसे दलों का सत्ता में आना यानी भारत का वापस भारतीय संस्कृति की और लोटना होगा ,अंग्रेजो के मकड़ जाल से निकलना होगा ! जिसे अमेरिका कतई बर्दाश्त नही कर सकता ! ऐसे हालत से निपटने का नाम है टीम अन्ना ! जहा एक ओर टीम अन्ना खुद को कोंग्रेस विरोधी साबित करने में लगी है वही भाजपा का विकल्प भी ! ऐसे में उसके (अमेरिका ) के लिए जैसे कई और पार्टिया है जो उसके हितो का ख्याल रखती है वैसे ही टीम अन्ना भी ! यदि कमजोर पड़ती कोंग्रेस सत्ता से बाहर होती है तो अमेरिका से करीबी रिश्तो वाली टीम अन्ना सता में होगी ! जिसका नुक्सान भाजपा को उठाना पडेगा चुकी टीम अन्ना जिस तरह से खुद को एक मसीहा साबित करने में लगी है उससे भाजपा के वोट बटने तय है ! रही बात कोंग्रेस की तो वह तो फिर भी अल्पसंख्यक तुष्टिक्र्ण चलते बेहतर प्रदर्शन करने में सफल होगी !
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