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सावधान क्या आपके बच्चे नेट पर घंटो बिताते हैं ?

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वैसे तो इन्टरनेट पर बहुत जानकारी है ! छोटे से लेकर बड़े सभी वर्ग के लोग इसे उपयोग करते हैं ! लेकिन दुखद यह है की इंटरनेट का उपयोग अधिकतर लोग टाईमपास के लिए करते हैं ! गूगल , फेसबुक , स्ट्रेंजर चैट के जरिये !जिनमे १२ या १४ , १५ साल के बच्चे भी सामिल होते हैं ! घंटो चैटिंग पर बैठकर समय बिताने वालो में बच्चे भी शामिल है जो इस देश का भविष्य कहे जाते हैं ! जिनमे अक्सर ऐसे लड़के – लडकिया होते हैं जो इन साइटों का उपयोग फ्रैंडशिप के लिए अन्यथा अभद्र विषयों पर लिखने बोलने के लिए करते हैं ! घंटो काल्पनिक मित्रता के जाल में खोया मन कब बहक कर अपनी उम्र के दायरे से निकलकर भोग – विलास , सेक्स में खो जाता है इस बात का शायद उस नाबालिक बालक को भी पता नही चलता ! काल्पनिक मित्र की बाते काल्पनिक तस्वीरे कब दिल -दिमाघ को छूती हुई नाबालिक की कोमल भावनाओं को वासनाओं में बदल देती है यह नेट पर इन साइटों का उपयोग करने वाले कच्ची उम्र के युवक -युवतियों को नही पता होता ! जिसके चलते खेलने – कूदने – पढने के दिनों में ही बच्चे मानसिक परेशानियों से ग्रस्त हो जाते हैं ! चिडचिडापन हावी होने लगता है , रात के ग्यारह – बारह बजे तक चैटिंग करने का भूत सवार होने लगता है ! यह खासतोर उन बच्चो के साथ होता है जिनके पास लेपटोप अथवा पर्सनल कम्प्यूटर हो ! ऐसे में बच्चे जिद्दी होने लगते हैं खाने -पिने पर कम ध्यान देने लगते हैं स्थिति इतनी बदतर होती चली जाती है की माँ – बाप के कहे के विरुद्ध चलना उनका शोक बनने लगता है ! कुछ दिन फेसबुक , ऑरकुट , पर समय बिताने के बाद कुछ – फरैंड काफी क्लोज हो जाते हैं जिनमे लडको के लिए लडकियां और लडकियों के लिए लड़के होते हैं ! जिनके साथ वह अपने जीवन की हर बात शेयर करने लगते हैं , उनकी बाते दिलो दिमाघ पर छाने लगती हैं ! कई बार दोनों आपस में अपना फोन नम्बर भी दे – देते हैं ! लेकिन स्थिति इतनी समान्य नही होती ! जहा बहुत से लडकियों के नाम से फेक आईडी इस तरह की साइटों पर उपलब्ध है वही लडको की भी ! जिस तरह से काल्पनिक मित्र इन साइटों पर धोखा देते हैं भावनाओं से खिलवाड़ करते वहीँ ऐसे मित्र मोबाइल पर भी अपना सच उजागर नही होने देते और लगातार भावनाओं से खिलवाड़ जारी रखते है ! जिसका खामियाजा इन साइटों को उपयोग करने वाले नाबालिक युवक -युवतियों और उनके माँ – बाप को भुगतना पड़ता है ! ऐसे हालत में माँ – बाप को अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत है ! माँ – बाप और परिवार के बाकी सदस्य ही अपने बच्चो को कल्पनाओं के गहरे समन्दर में डूबने से बचा सकते हैं !

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