ajad log
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बहती धरा के सिन्धु हैं !
गंगा जल से अमृत हैं !
नीलकंठ सा पर्वत हैं !
गर्व से कहो हम हिन्दू हैं !
हम किसी पेड़ की टहनी नही हैं !
जो हमें कोई काट फैके !
विशाल वृक्ष हैं एसा हम !
जिसकी जड़े फैली है विश्व के हर कोने में !
गर्व से कहो हम हिन्दू हैं !
पर्वत को जो उठा ले ऊँगली पर !
पत्थर को तैरा दे समन्दर में !
पीले विष का जो प्याला !
उन्ही म्हापूरुशो के हम वंशज हैं !
गर्व से कहो हम हिन्दू हैं !
पापियों का राज जब होता संसार पर !
तब – तब होता अवतार इस भारत की धरती पर !
अधर्मियों का विनाश करने !
धर्म को स्थापित करने !
लेता है हर बार जन्म धरती पर !
वही तो हम चन्द्रमा सा बिंदु हैं !
गर्व से कहो हम हिन्दू हैं !
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