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क्या हम वाकई जाती को खत्म करना चाहते हैं ! यदि हाँ तो कुछ सुझाव …..

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जब से ब्लोगिंग की दुनिया में आया हूँ तभी से एक बात महसूस की है !अधिकतर बुद्धिजीवी लोग जाती के खिलाफ हैं ! कुछ लोग कहते हैं जाती कर्मानुसार होनी चाहिए तो कुछ लोग कहते हैं की हिन्दू धर्म पर जातिवाद ने गहरा प्रहार किया है ! लेकिन जो लोग यह सब कहते हैं क्या वे लोग जाती को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठा सकते हैं ! आज मै यहाँ कुछ ऐसे सुझाव देना चाहता हूँ और सवाल भी पूछना चाहता हूँ जिनसे मेरा मानना है की हमें जातीय बन्धनों से मुक्त होने मदद मिलेगी ! मेरे कुछ सुझाव ……….

१ जाती का मूल आज के समय में गोत्र है यह अलग बात है की पहले इसे वंश परम्परा अथवा पहचान के लिए रचा गया हो ! लेकिन आज गोत्र से ही जाती का अनुमान होता है अथवा जाती की पहचान होती है ! जैसे कोई शर्मा है तो वह ब्राह्मण हुआ और गर्ग है तो बनिया ! क्या हम गोत्र को त्याग सकते हैं जैसे हम शर्मा, मेहता , गोयल की जगह आर्य अथवा भारतीय सरनेम यूज कर सकते हैं !

२ आज यदि कोई ब्राह्मण है तो वह ब्राह्मण में ही लड़के अथवा लड़की को ब्याहता है और यदि बनिया या राजपूत है तो वह अपनी जाती में ही लड़के अथवा लड़की को ब्याहता है ! क्या कोई बनिया अपने लड़के को ब्राह्मण की लड़की से ब्याह सकता है क्या कोई राजपूत अपनी लड़की को ब्राह्मण के लड़के से ब्याह सकता है !

३ अक्सर दलित समाज द्वारा आरोप लगाया जाता है की मंदिर में केवल ब्राह्मण को ही क्यों पुजारी नियुक्त किया जाता है हमें क्यों नही ? तो क्या हम किसी शरीर से साफ़ रहने वाले दलित वर्ग के युवक को मंदिर में पुजारी के रूप में नियुक्त करने का साहस रखते हैं ! वैसे हरयाणा में इस तरह का प्रयोग राजपूतो के गाव में हो रहा है !
४ क्या हम किसी भी जातीय सम्मेलन जो की हमारी अपनी जाती का हो उसका विरोध कर सकते हैं ! अथवा हम उसमे शामिल न हो
५ यदि हमारे सामने मान लिजियी आप जाट हैं और चुनाव में कोई दूसरी जाती का उम्मीदवार है और इमानदार है तो क्या आप उसका खुला समर्थ कर सकते हैं !

उपर लिखित उपाय कम हैं लेकिन मुश्किल भी परन्तु जब तक एक पहल नही होगी तब तक समाज से जातिवाद का खात्मा नही हो सकता !
आज जो लोग जातिवाद के खिलाफ हैं कोई भी पहल उन्हें अपने आप से ही करनी होगी तभी जातिवाद के खिलाफ कोई सशक्त कदम उठा सकेगा और लोगो की सोच में भी बदलाव आयेगा ! उपर लिखित सुझावों में से १ और २ बहुत ही मुश्किल हैं और हममे बहुत से लोग इसे जायज नही थार सकते न तो हम गोत्र को त्याग सकते हैं और न ही अपने बेटी को किसी दूसरी जाती में ब्याह सकते हैं और न अपने बेटे को दूसरी जाती में ब्याह सकते हैं ! कृपया मेरे इस छोटे से सुझावों पर अपनी प्रतिक्रिय जरूर दे !

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