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आज इस देश को सर – माथे पर हाथ रखकर दो मिनट का मोन रखना चाहिए ! सर पर इसलिए की इस देश की किस्मत तो कब की फुट चुकी है ……………
लेकिन फिर भी एक उम्मीद थी की कोई है………. जो इसे तरक्की के रास्ते पर लेकर जाएगा ! वह उम्मीद थी देश की मुख्य विपक्षी पार्टी……… भाजपा ! लेकिन वह उम्मीद धीरे -धीरे ही सही अब टूट रही है !
चुकी इस पार्टी को राष्ट्रिय पार्टी समझना अब हमारी भूल साबित हो रही है ! केंद्र के घोटालो से गदगद अब इसके नेता भाजपा को सत्ता पर पहुचाने से पहले ‘ कोन बनेगा पीएम ‘ खेल रहे हैं ! शायद अब इस पार्टी के नेताओं को यकीन हो गया है की अब तो इस देश की जनता इन्हें ही चुनकर सत्ता पर बैठा डालेगी ! तभी तो सब के सब एक दुसरे को ठिकाने लगाने का काम कर रहे हैं ! अपने रस्ते के कांटो को निकाल फैकने में जुट गये हैं !
मुंबई राष्ट्रिय कार्यकारिणी में जिस तरह से गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी ने संजय जोशी को निकालने के लिए बवाल कटा वह देश में सार्वजनिक हुआ ! उसी कार्यकारिणी में मोदी का घमंड से फुला सीना भी राष्ट्रीय समाचारों की सुर्खिया बना ! वही केशुभाई पटेल मोदी की लूटिया गुजरात में डुबोने की ताक में हैं मोदी विरोध में वह आदिवासियों की एक बड़ी रैली भी करेंगे ! कुछ एसा ही राजस्थान में चल रहा है वहा महारानी अपने वर्चस्व को बनाये रखना चाहती है जिसके चलते पिछले दिनों पार्टी को विस्तार देने वाली गुलाब चंद कटारिया की यात्राओं को टालना पड़ता है !
संघ भी बीजेपी में अपने वर्चस्व को बनाये रखना चाहता है जो की अच्छी बात है जिसके चलते उसे एक ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाते समय यह सूझ नही रहती की दिल्ली की रैली में बेहोश होने वाला नेता कुशवाहा के लिए गद – गद होने वाला नेता , कैसे तपती गर्मी में भाजपा को सत्ता दिला पायेगा !
टोटल मिलकर हम देखे तो यूपीए सरकार की तमाम नाकामियों और घोटालो के बावजूद आज भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी तमाशा बनकर रह गयी है जिसमे मुद्दों को तरजीह देने की विचारधारा को तिलांजली देकर व्यक्तियों को तरजीह दी जा रही है यही बात तब सही साबित हुई जब आडवाणी ने काले धन के खिलाफ यात्रा निकाली थी लेकिन संघ ने उनकी यात्रा को समर्थन न देकर व्यक्तिवादी खुन्नस को अंजाम दिया था और यही बात आज सही साबित हो रही है जब मुद्दों को उछालने की जगह व्यक्तियों को उछालने और चढाने पदों पर बैठाने कार्य किया जा रहा है ! जिसमे मोदी से लेकर गडकरी , सुषमा , जेटली , वसुंधरा , येद्दियुरप्पा जैसे अपने हितो को साधने के लिए पार्टी की विचारधारा को न सिर्फ पीछे धकेलने का काम कर रहे हैं बल्कि बीजेपी को कुछ व्यक्तियों के बल पर टिकी पार्टी भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमे जाने अनजाने ही सही संघ भी इनके हाथो की कटपूत्ली बन रहा है !
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