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हिन्दू सहनशील है लेकिन अब नपुंसक भी

ajad log
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जब मै छोटा था लगभग ११ , १२ साल का तब अपनी नानी से पाकिस्तान के बारे में बहुत कुछ जानने की कोशिश करता था वहा के मंदिरों के बारे में , वहा के रहन सहन के बारे में , और वहा के सभी तरह के हालात के बारे में ! तब नानी कई बार बताती थी की वहा ये था वो था हमारी इतनी जमीने थी इतना सोना था यहाँ ये मंदिर था गुरुद्वारा था भगत प्रल्हाद की नगरी थी ! अब भी नेट पर हिन्दू मंदिरों की तस्वीरों और इतिहास को खोजता रहता हूँ !
जिसमे भगवान शिव का मंदिर कटासराज मंदिर और हिंगलाज माता का मदिर , हिन्दू कुश की पहाड़िया हैं …………………………………….
बचपन में नानी से जब कुछ जानना चाहता तो उनमे यह भी की आपने अपनी धरती माँ – जन्म भूमि को क्यों छोड़ा ? उनके आँख में आंसू आ जाते ……………लेकिन मेरे पूछने पर वह बताती की वहां जो हालात थे उन हालातो में वहा रहना बहुत ही मुश्किल था चुकी मुस्लिम चाहते थे की यदि हम वहा रहें तो मुसलमान बन कर ! नानी कहती थी की हमारे सामने ही गाय माता को काटा जाता और हमें उसे सेवन के लिए भी बाध्य किया जाता ………………………………………………
कई बार मै नानी की बाते सुनकर कह देता की हम बहुत ही कमजोर लोग थे , डरपोक थे ! कह देता की यदि वह हमसे लड़ सकते थे तो हम अपनी ही जमीन के लिए , अपने ही देश के लिए उनसे क्यों नही ! तब नानी कहती की वे अधिक थे , वे कट्टर थे हम सहनशील थे , दयालू थे ………………………..
आज ११ साल बाद मुझे समझ में आता है की हाँ हम हिन्दू सहनशील तो हैं ही लेकिन मुर्ख भी ! चुकी हमने अपने इतिहास से अब तक कोई भी सबक नही लिया है ! चार राज्य भारत वर्ष के बलूचिस्तान , सिंध , बंगाल , पंजाब चारो को इस्लामिक रंग में रंग कर भारत से छीन लिया गया भारत को विभाजित कर दिया गया ! लेकिन आज तक हमने इतिहास से कोई भी सबक नही लिया ……………………………………………….
काश्मीर से हिन्दुओ को निकाल दिया गया तब भी हमने कोई सबक नही लिया ! दरअसल हम हिन्दू सहनशील नही मुर्ख हैं ! चुकी आज भी हम लोग अपने अहम के लिए लड़ रहे हैं , अपनी जातियों के लिए लड़ रहे हैं जिसकी लाठी होती है उसी की भैंस होती है यानी जिस जाती की जनसँख्या जिस क्षेत्र में अधिक होती है वह वहा का राजा होता है ! उसे सभी तरह के गैरकानूनी परमिट प्राप्त होते हैं , बाकी सबको उस जाती से डरकर रहना पड़ता है …………………………..
इस बीच कुछ कट्टरपंथी लोग हमारी मुर्खता आपसी फुट , का फायदा उठाकर हिन्दू भाइयो को बहला – फुसलाकर अपनी जनसख्या में बढ़ोतरी करते हैं ……………
अब समझ में आता है की हिन्दू कमजोर तो नही हैं , सहनशील हैं लेकिन दुसरे धर्मो के प्रति ! लेकिन यही सहनशीलता नपुंसकता में बदल जाती है जब देशविरोधी ताकते अपना विस्तार , दायरा बढाती है और किसी क्षेत्र में बहुमत में आती हैं ! आज भारत के हर उस शहर , हर उस गाव में हिन्दुओ की अत्यधिक सहनशीलता ने हिन्दुओ को कब सहनशील से नपूंसकता की और धकेल दिया यह खुद हिन्दुओ को भी पता नही चला ! 1947 में तो भारत के कुछ राज्यों को इस्लामिक षड्यंत्रकारियो ने पाकिस्तान बनाया गया था लेकिन आज भारत के सैकड़ो गाव , शहर पाकिस्तान बनने की कगार पर खड़े हैं !!!!!!!! लेकिन फिर भी हिन्दू समाज गलत को गलत कहने की हिम्मत नही रखता चुकी वह समझता है की वह सुरक्षित है ! वह इस वहम में खोया रहता है की मुट्ठीभर लोग उसका क्या बिगाड़ लेंगे अथवा यह भी अपने ही भाई हैं सभी धर्म बराबर हैं सभी में इंसानियत है ! लेकिन अत्यधिक धर्मान्तरण की वजह से एक दिन शांत और सभी दिखने वाला शहर – गाव नफरत की आग में जलने लगता है जिसका सबसे अधिक खामियाजा हिन्दू समाज को भुगतना पड़ता है .

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