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कभी कभी सोचता हूँ अपने कोन होते हैं
क्या वो जो हमारे पास होते हैं
या वो जो हमसे दूर होते हैं
वो जो हमारे साथ घुमने जाते हैं
या वो जो हमारे लिए घर रह जाते हैं
क्या वो जो हर ख़ुशी में साथ देते हैं
हर सुख में साथ होते हैं
या वो जो हमें ख़ुशी देते हैं
वो जो हमारे लिए गम सहते हैं
कहते हैं दोस्त , रिश्तेदार बहुत होते हैं अपने
जिन्हें हम अपना मान लेते हैं
लेकिन एक मोड़ जीवन में आता है एसा
जिसमे जिन्हें हम अपना मानते हैं
वह साथ छोड़ देते हैं हमारा
वही वक्त हमारे जीवन का
सबसे अहम वक्त होता है
उसी में पता लगता है कोन अपना है कोन पराया
जीवन में हम जिनकी अनदेखी करते हैं
लेकिन बुरे वक्त भी वे हमें देखते हैं
हमें समझते हैं , हमारे पास होते हैं
शायद वही होते हैं अपने
जिनके साथ हमने मस्ती की
वो ख़ुशी के साथी थे
लेकिन जिन्होंने हमारे लिए
अपनी ख़ुशी का त्याग किया
वे ही तो होते हैं हमारे अपने
जो पार्टियों में साथ थे
खाने ,पिने , नाचने में साथ थे
लेकिन सच में वे कितने खराब थे
जो रात को जागते रहे
हमें लेने आते रहे
जो हमारे लिए भूखे इसलिए रहे
की हमने कुछ खाया की नही
वही तो हैं हमारे अपने
लेकिन अफ़सोस की एक आदमी
कितने वर्ष लगा देता है यह समझने में
उसका कोन है और कोन उसका पराया
लेकिन जब समझत्ता है
तब उसके पास बस यादे ही होती हैं…..
उन अपनों की …………….
जो वास्तव में होते हैं उसके अपने
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