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भटकते युवक – युवतियां व्यवस्था का दोष

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प्रत्येक माँ बाप अपने लड़के – लड़कियों को पढाई के लिए किसी अच्छे संसथान में भेजना चाहते हैं जो सामर्थ्य होते हैं वह भेजते हैं ! जहां लड़के और लडकियां किसी पिजी अथवा होस्टल में रहते हैं ! अनजान शहर नये चहरे और नई उम्र ! बुलंद होसले , जोश से भरे ऐसे युवक – युवतियां घर से काफी दूर रहते हैं ! ऐसे में नया माहोल , आधुनिकता , और अकेलेपन से घीरे युवक – युवतियां शहरी माहोल में ढलने लगते हैं ! जिसके परिणाम सवरूप छोटे शहरो से आये युवक – युवतियां अपने दायरे से निकल कर लड़के और लड़की की सीमाओं को पाटने ( तोड़ने ) लगते हैं ! जिसके फलस्वरूप ऐसे संस्थानों में लड़के और लड़की का साथ रहना बोलना घूमना आदि को फ्रंद्शिप नाम दिया जाता है यानी दोस्ती ! जहां युवक – युवतियों को अपने घर की किसी ख़ुशी में शामिल करते हैं वाही युवतियां भी ! लेकिन एक कडवी सच्चाई यह भी है की इस तरह की दोस्ती देसी भाषा में कहू तो सेटिंग होती है अथवा प्यार ! यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य बात है की 90 % ऐसी दोस्ती टाईमपास भी कहलाती है ! जिसमे लड़के और लडकियां शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर लेते हैं ! प्यार – शादी तो बहुत कम लोग ५ , १० लोग ही करते हैं ! एसा नही हो सकता की इन हालत से कोई भी माँ – बाप वाकिफ न हो ! एक वह भी जमाना था जब लड़की का घर से दूर जाना भारतीय समाज में अच्छा नही माना जाता था लेकिन आज जमाना कुछ और है जिसमे हर किसी को आगे निकलना है ! किसी को पडोसी से तो किसी को रिश्तेदार से ! इसी वजह से माँ – बाप मोन हैं………… लेकिन इन सबके बीच इस भाग्दोड़ी प्रतियोगिता में कुछ तो है जो हम खो रहे हैं ! अपने सिधांत , संस्कार , सभ्यता , बड़े छोटे का आदर – सम्मान ! लेकिन यह एक मकडजाल है वह मकडजाल जिसे अंग्रेजो ने बुना और हमें उलझाया ! वयवस्था का एसा मैकालेम्यी जाल जिसमे हम और आप सभी बस फसे हुए हैं ! ऐसी प्रतियोगिता जिसमे हार भी हमारी है और केवल हार ही हमारी है ! चुकी इस वयवस्था में जहा एक और भारतीयता खो रही है वही दूसरी और भारत का भविष्य सिगरेट , बियर और सेक्स के नशे में चूर है !

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