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बोलो टीम अन्ना भीड़ क्यों नही जुटी ?

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सभी को मेरी नमस्कार ………
कई दिनों में बंदा फिर हाजिर है असम में दंगे हो रहे हैं कोसी दंगो की तस्वीर को अभी भुला नही हूँ ! सोच रहा था इस दुःख की घडी में क्या लिखू तभी मन में एक विचार आया देश जल रहा है लेकिन देश चल रहा है ! फिर सोचा चलो अगस्त नजदीक है और अनशन का दोर चल पडा है चलो उस पर लिखता हूँ ! तो बन्दे ने लिखना आरम्भ किया अपनी ज्ञान बाटू कलम का शुभारम्भ किया !

बोलो टीम अन्ना भीड़ क्यों नही जुटी ?

अन्ना की टीम ने अनशन किया है इस बार अनशन पर अब तक अन्ना नही बैठे हैं ! दरअसल अन्ना हजारे पहले जन्तर मन्त्र और रामलीला में अनशन कर चुके हैं लेकिन अब की बार कमान संभाली है तिकड़ी ने ! अनशन के दुसरे ही दिन केजरीवाल की तबियत खराब बताई गयी ! चलिए छोड़िए ………
मीडिया बार बार चिल्ला रहा है टीम अन्ना का फ्लॉप शो और जी न्यूज़ कह रहा है जन्तर मन्त्र जनता छु मन्त्र ! लेकिन मै पूछता हूँ इस देश का आम आदमी होने के नाते …….बोलो टीम अन्ना भीड़ क्यों नही जुटी ?
चलो छोड़ो क्या पता कोई बोले न बोले मै ही लिख देता हूँ ! दरअसल ये भीड़ कोई भेड़ बकरियों की भीड़ nही थी जिसे बहला फुसलाकर लाया जाए या फिर लाठी डंडे से मार पीटकर लाया जा सके ! ये भीड़ थी उस आम आदमी की जो सिस्टम से दुखी था भ्रष्टाचारियो से दुखी था ! वह कोई भाषण सुनने के लिए या फिर तम्बू में अन्ना को देखने के लिए नही जेब से पैसे खर्च कर पहुचता था और न ही मीडिया के कैमरों में अपनी फोटो के लिए ! वह दुखिया तो इस उम्मीद से अनशन नगरी के तम्बुओ में गया था की हाँ अब उसे भ्रष्ट वयवस्था से मुक्ति मिलेगी ! हाँ अब उसे तुष्टिकर्ण की नीतियों से मुक्ति दिलाने वाली आवाज मिलेगी …………………..
वह गया तीन अनशनो में गया न वह ! पहले बाबा रामदेव के सत्यग्रह में गया उसे आस जगी उसे रावण की सुंडी मिली जिसमे वह तीर मारने को बेताब था ! लेकिन धरती पर टीम अन्ना अवतरित हुई उसने जनता को कहा देखो रावण के कितने चहरे हैं , कितने रूप हैं ! देखो …….दस चेहरों वाला रावण कलमाड़ी , शीला , चिदम्बरम , राजा फलाँ – फलाँ ! जनता का ध्यान भटकने लगा ! जनता रावण की सुंडी को छोड़ रावण के दस रूपों को खत्म करने लगी ! लेकिन हर रूप को खत्म करने बावजूद ज़िंदा रहा वही दस सर वाला एक रावण ,,,,,भ्रष्टाचार !
अब जनता हारने लगी केजरीवाल की टोपी पहनू रणनीति और भारत माता के चित्र हटाऊ ,मुस्लिम पटाऊ ,संघ को गरियाऊ , बाबा पर आरोप लगाऊ रणनीति को समझने लगी ! और अंत में अगस्त से अगस्त तक अनशन की धार कमजोर होने लगी और अब हालत यह है की आन्दोलन केजरीवाल और प्रशांत , सिसोदिया की राजनैतिक हवस का शिकार हो गया ! अन्ना का जग में नाम हो गया लेकिन जनता का भटकाव हो गया ! अब गाव शहरों मे बाते होने लगी हैं होने वाला कुछ नही ! जनता में ये धारणा हावी होने लगी है ! लेकिन इस पूरे खेल में देश की जनता ने बहुत कुछ खोया है और मीडिया से लेकर टीम अन्ना ने नाम कमाया है ! लेकिन फिर भी इतना कहूंगा अन्ना अपनी टीम को bhng कर रामदेव के sang रावण की सुंडी पर nishana साधे तो भीड़ फिर जुटेगी देशभक्तों की महफ़िल फिर सजेगी देशभक्तों की !
जय हिंद

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