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सभी को मेरी नमस्कार …….
सबसे पहले तो आपसे एक प्रश्न इन दोनों में से कोन बेहतर है वह जो पैसो और शोरत की खातिर खेलता है अथवा वो जो देश की खातिर मरता है ?
chalie एक और सवाल आप किसे लाइक करते हैं सचिन तेंदुलकर को जो देश के लिए ? अब भी खेल रहा है या भगत सिंह को जो देश के लिए kurban शहीद हो गये ?
दोस्तों सचिन खेल रहा है पैसे कमा रहा है अपने लिए अपने बच्चो के लिए लेकिन वह राष्ट्रिय खिलाडी हो गया ! वहीँ भगत सिंह देश के लिए सूली पर चढ़ गये तब भी उन्हें म्यूजियम में आतंकवादी dikhaya जाता है क्यों ?
आज भगत सिंग , उधम सिंग का परिवार मजदूरी कर पेट पल रहा है और सचिन का parivar आलिशान बगले में जीवन वय्तित कर रहा है ! …………………
वैसे मै यहाँ एक बात साफ़ कर दू मेरी सचिन से कोई दुश्मनी नही है पर एक बात बड़ी चुभती है सचिन हो या साइना नेहवाल या गंभीर या युवराज आज मोज में हैं जब की देश के लिए छाती पर गोली खाने वाले लोगो का परिवार गुमनामी के अंधेरो में जी रहा है ! साइना या सानिया जीते तो उन्हें करोडो सचिन शतक लगाये या भारतीय टीम मैच जीते तो करोडो लेकिन जब कोई सैनिक देश की खातिर छाती पर गोली खाए तो ? उनका क्या ? मै समझता हूँ हमारे देश में आज दो लोगो की बल्ले – बल्ले है एक नेता की और दुसरे खिलाड़ी की नेता अपने तरीके से पैसा कमाता है लेकिन खिलाड़ी खेल – खेल में ….
लेकिन नेता के तरीके और खिलाडी के खेल में एक कोम और है जो देशभक्त कहलाती है जिसे सैनिक कहा जाता है जो सर्द हवाओं और बर्फीले tufano में देश की रक्षा करती है उसकी चिंता किसे है ? उसके परिवार की चिंता किसे है ? बोक्सिंग का पंच करोडो दिलाता है लेकिन पाकिस्तानी घुसपेठियो को उनकी असली जगह पहुचने वालो के लिए लाखो भी नही है ? आखिर क्यों ? कैसी भावनाए इस देश के युवाओ में भरी जा रही है इस प्रकार तो देशभक्ति करिकेट या बोक्सिंग की रिंग तक सिमट कर रह जाएगी और एक दिन एसा आयेगा युवा सेना की नोकरी की जगह खेल को तरजीह देने लगेगा ! उस दिन न तो नेता महफूज होगा और न ही खिलाड़ी ! क्यों की बल्ले से गेंद पिटी जाती है दुश्मन नही !!!!!
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