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आम आदमी के साथ क्यों है मीडिया

ajad log
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अगस्त में एक आंधी चली थी नाम दिया गया था अगस्त क्रांति ! जलते हुए लोग अपनी भडास निकालने मोमबत्ती जलाकर चोक चोराहो पर जुटे थे ! वन्दे मातरम , भारत माता की जय जयकार हुई , हाथ में झंडा ! सर पर टोपी मै अन्ना हूँ ! मंच पर भारत माता की फोटो ! साथ में किरन और अन्ना जैसे लोग जिनपर देश की जनता विश्वास करने को राजी थी ! लेकिन धीरे – धीरे मिडिया की मदद से चला यह हवा में उड़ता बुल – बुला फटता गया ! बुल -बुला था फटना तो था ही kitna उड़ता bechara ! जिस संघ ने खुश होकर वहा लंगर चलाये उसी मंच से उसके लिए साम्प्रदायिक जैसी गालिया बरसने लगी भारत माता का चित्र भी हटा दिया गया ! आम संघी भी अब अन्ना से और आन्दोलन से कटने लगा ! मिडिया भी टीआरपी का साथी था सो वो भी अब दूर हटने लगा ! उपर से अमेरिकी कम्पनी का विरोध अन्ना ने किया जिसे fdi बोला जाता है ! फिर क्या था केजरीवाल ने राजनैतिक पार्टी बनाने के संकेत दिए अन्ना ने मना किया ! अगले दिन सर पर टोपी थी ”” मै केजरीवाल हूँ ”””’ ! शायद अब केजरीवाल को अन्ना के साथ जाना मंजूर न था शायद इसलिए की अन्ना ने अमेरिका से सीधा लोहा लिया और भारत माता के सच्चे सपूत की तरह fdi का विरोध किया ! जैसा की अनुमान लगाया गया था केजरीवाल फोर्ड फाउन्देष्ण द्वारा चलित एक ‘ कलपुर्जा ‘ है वो अनुमान तब सच साबित होता दिखा जब केजरीवाल ने आन्दोलन की धमक और अपने चहरे की चमक का इस्तेमाल एक राजनितिक विकल्प के रूप में किया ! लेकिन चहरे की चमक और आन्दोलन की धमक बिन सघी बिन अन्ना और आएरण लेडी किरण बेदी बिन अधूरी थी सो केजरीवाल ने टोपी की नम्बर प्लेट यानि शब्दावली बदली और नया शब्द था ‘ मै आम आदमी हूँ ‘ तब से और अब तक केजरीवाल जी एक आम आदमी हैं और कभी रोबर्ट वाड्रा तो कभी सलमान , लुईस खुर्शीद के खिलाफ झंडे लहरा रहे हैं थाना घेर रहे हैं ! खास बात यह है जिसे हमें गांठ बांध लेनी चाहिए ‘ उस आम आदमी के पीछे – पीछे या कहे साथ साथ है अब भी मीडिया !वही मीडिया जो कल तक महान संत श्री अन्ना हजारे जी के साथ था वही मिडिया अब अन्ना को छोड़कर केजरीवाल ; ओह सारी ‘ आम आदमी की टोपी में बैठकर लाइव कवरेज कर रहा है ! आम आदमी की बात हुई है तो दिल्ली में पचास हजार भूमिहीन किसान आदिवासी डेरा डाले हैं लेकिन मीडियाई करिश्माई सबसे तेज़ , सबसे पहले कोई भी उन नंगे बदन , नंगे पैर गरीबो पर अपनी कवरेज का जलवा नही चला रहा ! पता नही किस किस्म के आम आदमी हैं केजरीवाल जो मीडिया उन्हें इतने भाव दे रहा है वो भी इतने ख़ास तरीके से ? वैसे अगस्त में जिस केजरीवाल के साथ अन्ना और किरन बेदी थे आज वही केजरीवाल है पर उनके पास देश के सबसे लोकप्रिय और इमानदार माने जाने वाले साथी नही है लेकिन देश का चोथा खम्बा जिसने अपनी जिम्मेदारियों को आजादी के बाद से ही तिलांजली देनी शुरू कर दी थी इस ‘ आम आदमी ‘ के साथ है ! आखिर क्यों ? जिस मिडिया में राजदीप सरदेसाई जैसे लोग रहते हो जो ट्वीटर पर असाम में एक हजार हिन्दुओ का कत्ले आम करने पर gujraat का बदला पूरा होने की बात करते हो वह कैसे एक आम आदमी या कहे देशभक्त के साथ रह सकता है ! मैंने हमेशा अपने ब्लॉग पर सफ़ेद टोपी और सफ़ेद धोती वाले अन्ना के खिलाफ लिखा है लेकिन आज पता नही क्यों अन्ना तो मुझे एक बेबस बजुर्ग प्रतीत हो रहे है जिस तरह से महात्मा गाँधी को मजबूरी का नाम खा गया था वैसे ही आज आना मज्बोरी का नाम बनकर रह गये हैं जिसे केजरीवाल ने जब चाह एक लोलीपोप की तरह चूसा और फेक दिया ! लेकिन बार बार एक बात मेरे दिमाघ की बत्ती को भुजने नही देती ये मीडिया ‘ आम आदमी ‘ के साथ क्यों है !

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