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सभी को मेरी नमस्कार ….
कई दिनों से ये मुद्दा दिमाग़ में घूम रहा था , पर लिखने के लिए समय की जरूरत होती है सो वो आज मिला | मैंने अपने आसपास बहुत से परिवारो पर दहेज़ के केस चलते देखे है मामूली सी घर पर कोई बात हुई की वर पक्ष पर दहेज़ का केस दर्ज़ होता देखा है | कई बार किसी औरत का झगड़ा प्रॉपर्टी अथवा बटवारे को लेकर होता है लेकिन केस दर्ज़ दहेज़ का होता देखा है | कई बार ऎसे मामले भी देखे हैं लड़का और लड़की एक दूसरे से खुश नही होते लड़की अथवा उसके पारिवारिक दबाव की वजह से दहेज़ का केस लड़को और उसके परिवार पर चला दिया जाता है | मै ये नही कहता की लड़के वाले बिलकुल पाक साफ़ होते हैं| लेकिन हाँ आजकल किसी भी छोटे – मोटे वाद विवाद मन – मुटाव में थाने कचहरी और उसके बाद दहेज़ की धाराए लगना आम बात हो गयी है | कहने का मतलब साफ़ है कही न कही हमारे समाज में दहेज़ के क़ानून का दुरपयोग भी हो रहा है | ये सही है की दहेज़ के दानव अब भी हैं और ऎसे दानव समाज पर कलंक हैं लेकिन जिस तरह से दहेज़ के केस में बढ़ोतरी हो रही है वह भी चिंताजनक है |
क्यों की ऎसे केस होने की वजह से जहाँ एक और लड़की को भी केस की वजह से कई साल कुंवारेपन में गुजरने पड़ते हैं वहीं कुछ बेगुनाह लोगो को भी समाज की उलटी सीधी बातो से दो चार होना पड़ता हैं और समय , और अकेलेपन में लड़के -लड़की का दूसरी शादी करके जीवन सुख – शांति से बिताने समय भी निकलता जाता है | ऎसे हालात में क़ानून के जानकारों और बनाने वालो और समाज को इस क़ानून की फिर से समीक्षा करने की जरूरत है ताकि कोई बेगुनाह कोर्ट के चककर लगाकर अपनी जिंदगी का कीमती समय नष्ट न करे |
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